प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जम्मू की डोडा रैली में हिमाचल प्रदेश को लेकर की गई टिप्पणी के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी सरकार का पक्ष रखा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार ने ‘व्यवस्था परिवर्तन’ की नवीन पहल के माध्यम से आत्मनिर्भर हिमाचल की नींव रखी है। राज्य सरकार ने प्रदेश की वित्तीय अर्थव्यवस्था सुधारने और आमजन की खुशहाली सुनिश्चित करने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में केंद्र सरकार के पास राज्य की 23,000 करोड़ रुपये की धनराशि लंबित है, जो अभी तक प्रदेश को जारी नहीं की गई है। इस धनराशि में से 9,300 करोड़ रुपये पिछले वर्ष आई प्राकृतिक आपदा के बाद की आवश्यकता आकलन से संबंधित हैं, जो राज्य सरकार को अभी तक जारी नहीं किए गए हैं, जबकि केंद्र सरकार ने उत्तराखंड को 8,000 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं। इसके अलावा, नई पेंशन योजना के 9,300 करोड़ रुपये भी केंद्र सरकार के पास लंबित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भाखड़ा बांध प्रबंधन बोर्ड के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के प्रदेश के पक्ष में फैसले के बावजूद बीबीएमबी ने 4,500 करोड़ रुपये का बकाया भी प्रदेश को नहीं दिया है। यदि केंद्र सरकार यह धनराशि राज्य को जारी कर दे, तो हिमाचल आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को शीघ्र प्राप्त कर लेगा। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि हिमाचल प्रदेश के भाजपा नेतृत्व ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राज्य की वित्तीय स्थिति के बारे में गुमराह किया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्तमान राज्य सरकार के कार्यकाल के दौरान कोषागार कभी भी ओवरड्राफ्ट नहीं हुआ है और इससे संबंधित तथ्य भारतीय रिजर्व बैंक और केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा सत्यापित किए जा सकते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री के लिए सभी राज्यों की समानता की बात करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने 1.36 लाख सरकारी कर्मचारियों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया है और राज्य की पात्र महिलाओं को 1,500 रुपये प्रति माह प्रदान किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि विभिन्न बोर्डों और निगमों के कर्मचारियों और पेंशन भोगियों को महीने की पहली तारीख को वेतन और पेंशन अदायगी की जा रही है। वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने नकदी प्रवाह असंतुलन को ठीक करने का निर्णय लिया है, जिससे विभिन्न सरकारी विभागों के कर्मचारियों को महीने की पांच तारीख को वेतन मिल रहा है और किसी भी सरकारी कर्मचारी के वेतन भुगतान में कोई देरी नहीं हुई है। इस निर्णय से राज्य के राजकोष को सुदृढ़ करने के लिए प्रति माह तीन करोड़ रुपये की बचत हो रही है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि भाजपा सरकार के दौरान 56 चेयरमैन और वाइस चेयरमैन की नियुक्ति की गई थी, जबकि वर्तमान राज्य सरकार ने केवल 14 अध्यक्षों और उपाध्यक्षों की नियुक्ति की है। इससे स्पष्ट होता है कि हिमाचल के लोगों ने खरीद-फरोख्त की राजनीति को अस्वीकार किया है। वर्तमान राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश को वर्ष 2027 तक आत्मनिर्भर राज्य और वर्ष 2032 तक देश के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में गंभीर प्रयास कर रही है।