प्रदेश में साइबर क्राइम तेजी से फैल रहा है, जिससे नागरिकों और व्यवसायों को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। फिशिंग, ऑनलाइन ठगी, और व्यक्तिगत जानकारी की चोरी जैसे मामलों में वृद्धि हो रही है।
अधिकारियों ने साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए हैं, लेकिन नागरिकों को भी सतर्क रहना आवश्यक है। साइबर अपराधियों के तरीकों को समझना और सुरक्षित ऑनलाइन व्यवहार अपनाना महत्वपूर्ण है।
सरकार और पुलिस प्रशासन इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान दे रहे हैं और साइबर अपराध के खिलाफ सख्त कदम उठाने की योजना बना रहे हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर जारी साइबर क्राइम के 2022 के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में 77 मामले दर्ज हुए हैं। पूरे देश में कुल 64,907 साइबर क्राइम के मामले सामने आए, जिनमें तेलंगाना 15,297 मामलों के साथ पहले, कर्नाटक 12,556 मामलों के साथ दूसरे, उत्तर प्रदेश 10,117 मामलों के साथ तीसरे और महाराष्ट्र 8,249 मामलों के साथ चौथे स्थान पर है।
साल 2014 से 2022 तक प्रदेश में साइबर क्राइम के मामलों में उतार-चढ़ाव देखा गया है। 2020 में सर्वाधिक 98 मामले दर्ज हुए थे, जबकि 2021 में यह संख्या 70 थी। नए प्रलोभनों और जानकारी के अभाव में लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं।
2022 में साइबर क्राइम के मामलों में 28 फ्रॉड, 15 यौन शोषण, 10 प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने और 14 पैसों की जबरदस्ती वसूली के मामले शामिल थे। जागरूकता के बावजूद, अपराधियों के नए तरीकों से लोगों को धोखा देने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।