“दैवव्यपाश्रय का ज्ञान जनकल्याण है, व्यापार नहीं।”: महाब्रह्मर्षि श्री कुमार स्वामी जी

"दैवव्यपाश्रय का ज्ञान जनकल्याण है, व्यापार नहीं।": महाब्रह्मर्षि श्री कुमार स्वामी जी

महाब्रह्मर्षि श्री कुमार स्वामी जी ने बस्सी पैलेस बरु में आयोजित प्रभु कृपा दुख निवारण समागम में दैवव्यपाश्रय के ज्ञान के महत्व को उजागर किया। उन्होंने बताया कि यह ज्ञान मां दुर्गा ने भगवान शिव को दिया, जो फिर महाब्रह्मऋषियों और चिकित्सा विशेषज्ञों तक पहुंचा।

महाब्रह्मर्षि श्री कुमार स्वामी जी ने बस्सी पैलेस बरु में आयोजित प्रभु कृपा दुख निवारण समागम में दैवव्यपाश्रय के ज्ञान के महत्व को उजागर किया। उन्होंने बताया कि यह ज्ञान मां दुर्गा ने भगवान शिव को दिया था, जो फिर ऋषियों और चिकित्सा विशेषज्ञों जैसे चरक और सुश्रुत तक पहुंचा।

उन्होंने कहा कि सुश्रुत, जो सर्जरी के क्षेत्र में अद्वितीय हैं, ने 1100 प्रकार की सर्जरी का आविष्कार किया है और आज भी सभी चिकित्सक उन्हें अपना गुरु मानते हैं। डा. कुमार ने आधुनिक विज्ञान की सीमाओं की आलोचना करते हुए कहा कि यह केवल लक्षणों का इलाज करता है, जबकि दैवव्यपाश्रय रोगों की जड़ को समाप्त करने में सक्षम है।

समागम में श्रद्धालुओं को अवधान के माध्यम से तत्क्षण दुख निवारण की कृपा प्राप्त हुई। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि दैवव्यपाश्रय का ज्ञान जनकल्याण के लिए है, न कि व्यापार के लिए। यह एक दिव्य विज्ञान है जो असाध्य रोगों के इलाज में सहायता करता है।

महाब्रह्मर्षि जी ने पश्चिमी देशों में भी इस ज्ञान की प्रभावशीलता को दर्शाते हुए बताया कि कैसे उनके दिए गए दिव्य औषधियों ने असाध्य रोगों को समाप्त किया। उनके विचारों ने श्रद्धालुओं, वैज्ञानिकों और बुद्धिजीवियों को प्रभावित किया, और उन्होंने इस ज्ञान के वास्तविक विज्ञान के रूप में मंत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।

इस समागम में सामाजिक, धार्मिक, प्रशासनिक और राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े कई गणमान्य लोग भी शामिल हुए, जो इस दिव्य ज्ञान का लाभ उठाने के लिए उपस्थित थे।

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