सरकार कोर्ट केसों की निगरानी को सख्त करेगी

सरकार कोर्ट केसों की निगरानी को सख्त करेगी

सरकार ने कोर्ट केसों की निगरानी को सख्त करने का निर्णय लिया है। इस कदम का उद्देश्य न्याय प्रक्रिया को तेज करना और मामलों की सुनवाई में पारदर्शिता बढ़ाना है।

सरकारी अधिकारियों का मानना है कि सख्त निगरानी से लंबित मामलों की संख्या में कमी आएगी और न्यायालयों में मामलों के निपटारे की गति में सुधार होगा। इसके तहत विभिन्न उपाय लागू किए जाएंगे, जैसे नियमित रिपोर्टिंग और तकनीकी सहायता का उपयोग।

इस पहल के माध्यम से, सरकार का प्रयास है कि नागरिकों को समय पर न्याय मिले और न्यायपालिका में विश्वास बढ़े

कर्मचारियों की देनदारी से संबंधित मामलों में कई बार हारने के बाद, हिमाचल सरकार ने कोर्ट केसों की निगरानी प्रक्रिया को सख्त करने का निर्णय लिया है। गुरुवार को राज्य सचिवालय में मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना की अध्यक्षता में इस विषय पर बैठक हुई, जिसमें वित्त, कार्मिक, और विधि विभाग के अधिकारियों को आमंत्रित किया गया था।

सरकार का लक्ष्य उन मामलों में सरकारी पक्ष को मजबूत करना है, जहां विभाग की लापरवाही के कारण नुकसान उठाना पड़ा। कई बार, अदालतों में विभागों द्वारा जवाब में देरी हो रही है, जिससे अब तीन विभागों के लिए डेडलाइन तय की जाएगी। अदालत में फैसले को चुनौती देने के लिए भी एक निर्धारित समय सीमा होगी।

नए निगरानी तंत्र के तहत, आईटी विभाग के सॉफ्टवेयर से लीगल मॉनिटरिंग सिस्टम को मजबूत किया जाएगा। महाधिवक्ता कार्यालय को अदालत के फैसले के तीन दिन के भीतर संबंधित विभागों को जानकारी देनी होगी। इसके साथ ही, वित्त, कार्मिक, और विधि विभागों के लिए अलग-अलग फाइलों का प्रबंधन किया जाएगा।

इसके अलावा, सरकार ने कोर्ट में कांट्रैक्ट पॉलिसी को भी सही तरीके से डिफेंड नहीं किया है। अब सरकार पर वित्तीय लाभ और सीनियॉरिटी देने का दबाव बढ़ गया है, जबकि कई मामलों में कोर्ट के फैसले अभी तक लागू नहीं किए गए हैं।

सरकार द्वारा पूरी प्रक्रिया के लिए गाइडलाइंस भी जारी की जा रही हैं, जिससे न्यायालय में केसों की सुनवाई में सुधार हो सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *