हिमाचल प्रदेश में जुलाई महीने तक हुए एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य में 1.42 लाख प्रवासी रह रहे हैं। यह आंकड़ा प्रवासियों की बढ़ती संख्या और उनकी स्थानीय जीवनशैली पर प्रकाश डालता है।
सर्वे में यह जानकारी सामने आई है कि इन प्रवासियों में अधिकांश मजदूर, छोटे व्यापारियों और अन्य श्रेणियों के लोग शामिल हैं जो विभिन्न जिलों में रह रहे हैं। इन प्रवासियों का योगदान राज्य की आर्थिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, लेकिन साथ ही उनके लिए सामाजिक और सुविधाओं की भी जरूरतें बढ़ रही हैं।
राज्य सरकार ने प्रवासियों की समस्याओं और उनकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कई योजनाएं बनाई हैं। सर्वे के नतीजे यह दर्शाते हैं कि हिमाचल प्रदेश में प्रवासियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जिसे देखते हुए आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है।
यह आंकड़ा राज्य की जनसंख्या की संरचना और विकास की दिशा को प्रभावित करने वाला है, और भविष्य में प्रवासियों के लिए बेहतर योजनाएं और सुविधाएं प्रदान करने के लिए सरकार को प्रेरित करेगा।
हिमाचल प्रदेश में बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों का पंजीकरण चल रहा है, और हाल के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2024 तक राज्य में 1,42,093 प्रवासी रह रहे हैं। लेकिन इस पंजीकरण में कुछ मुद्दे भी सामने आए हैं।
सर्वेक्षण के दौरान पाया गया है कि प्रदेश में रह रहे अधिकांश प्रवासियों के आधार कार्ड पर जन्म तिथि के रूप में एक जनवरी अंकित है। यह स्थिति संदेहास्पद है और आधार कार्ड की गड़बड़ी की संभावना को जन्म देती है। सवाल उठता है कि क्या सभी प्रवासी एक जनवरी को ही जन्मे हैं या फिर यह प्रणालीगत त्रुटि का परिणाम है।
प्रवासी लोग प्रदेश में विभिन्न गतिविधियों में संलग्न हैं, जैसे कि मजदूरी, कारोबार, कपड़े और सब्जी बिक्री, और कुछ साधुओं के रूप में भी भिक्षा मांगते हैं। इसके अलावा, कई प्रवासी अपने वास्तविक नाम के बजाय बुलाने के नाम का उपयोग कर रहे हैं, जिससे पहचान छुपाने की संभावना बढ़ जाती है।
प्रदेश के विभिन्न जिलों में प्रवासियों की संख्या इस प्रकार है:
- चंबा: 562
- हमीरपुर: 22,603
- बिलासपुर: 4,942
- सोलन: 3,990
- मंडी: 17,241
- किन्नौर: 3,714
- ऊना: 5,432
- शिमला: 14,082
- कुल्लू: 5,411
- कांगड़ा: 8,373
- सिरमौर: 21,510
- लाहुल-स्पीति: 1,635
- पुलिस जिला नुरपुर: 417
- पुलिस जिला बद्दी: 32,179
सर्वाधिक प्रवासी उत्तर प्रदेश से हैं, जिनकी संख्या 57,443 है। इसके अलावा, बिहार के 34,243, नेपाल के 12,134, झारखंड के 3,853 और अन्य राज्यों के 28,806 प्रवासी भी राज्य में रह रहे हैं।
यह स्थिति स्थानीय प्रशासन और पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण है, और प्रवासियों के पंजीकरण और पहचान में सुधार की आवश्यकता को उजागर करती है।