हिमाचल प्रदेश में अब अढ़ाई लाख रुपये से अधिक की खरीद पर टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) काटा जाएगा। राज्य सरकार द्वारा लागू किए गए इस नए नियम का उद्देश्य कर प्रणाली को मजबूत करना और टैक्स चोरी को रोकना है।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, यह कदम व्यापारियों और ग्राहकों के बीच पारदर्शिता बढ़ाएगा, जिससे सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त होगा और विकास परियोजनाओं को बढ़ावा मिलेगा।
व्यापारियों को सलाह दी गई है कि वे इस नियम को ध्यान में रखते हुए अपनी लेन-देन की प्रक्रिया को समझें और सही तरीके से टैक्स कटौती करें। अधिकारियों ने बताया कि उचित जानकारी के अभाव में दिक्कतों से बचने के लिए व्यवसायियों को सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
स्थानीय निकाय या पंचायत स्तर पर अब अढ़ाई लाख रुपये से अधिक की खरीद पर टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) कटवाना अनिवार्य होगा। यह व्यवस्था जीएसटी अधिनियम के तहत लागू की गई है, जैसा कि राज्य कर और उत्पाद शुल्क की सहायक आयुक्त पूनम ठाकुर ने बताया।
पंचायत सचिवों और चयनित प्रतिनिधियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा कि 2.5 लाख रुपये से अधिक मूल्य की कर योग्य वस्तुओं या सेवाओं की खरीद करने वाली किसी भी स्थानीय निकाय को स्रोत पर कर कटौती करनी होगी। इस प्रावधान का उद्देश्य सार्वजनिक व्यय में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। राष्ट्रीय स्तर पर बनाए गए कानूनों का जमीनी स्तर पर पालन होना अत्यंत आवश्यक है।
यह पहल राज्य कर और उत्पाद शुल्क विभाग द्वारा कर अनुपालन को मजबूत करने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है, जो अंततः राज्य के वित्तीय स्वास्थ्य में योगदान देगा। सत्र में जीएसटी नियमों के पूर्ण अनुपालन और स्थानीय शासन में वित्तीय पारदर्शिता को बढ़ावा देने पर विस्तृत चर्चा की गई, और ऐसे शिविरों का आयोजन भविष्य में भी किया जाएगा।