कंगना रनौत ने कृषि कानूनों पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि ये उनके व्यक्तिगत विचार हैं और यह पार्टी के आधिकारिक रुख का प्रतिनिधित्व नहीं करते। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी राय राजनीतिक मुद्दों से अलग है और किसी भी तरह की राजनीतिक बयानबाजी के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। कंगना के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में चर्चा को जन्म दिया है।
2021 में निरस्त किए गए कृषि कानूनों को वापस लाने के संबंध में आलोचनाओं का सामना कर रहीं भाजपा सांसद कंगना रनौत ने बुधवार को स्पष्ट किया कि उनके विचार व्यक्तिगत हैं और पार्टी के आधिकारिक रुख का प्रतिनिधित्व नहीं करते। हिमाचल प्रदेश भाजपा ने भी मंडी सांसद के बयान से दूरी बना ली है।
कंगना ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “किसान कानूनों पर मेरे विचार व्यक्तिगत हैं और वे पार्टी के रुख का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।” मंगलवार को मंडी जिले में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि तीन कृषि कानूनों का विरोध केवल कुछ राज्यों में हुआ है। उन्होंने कहा, “किसान भारत की प्रगति में ताकत का स्तंभ हैं। केवल कुछ राज्यों में, उन्होंने कृषि कानूनों पर आपत्ति जताई थी। मैं हाथ जोड़कर अपील करती हूं कि किसानों के हित में कृषि कानूनों को वापस लाया जाना चाहिए।”
कंगना रनौत ने कहा कि देश प्रगति के पथ पर अग्रसर है और कृषि कानूनों को बहाल करने से किसानों के लिए बेहतर वित्तीय स्थिरता और विकास सुनिश्चित होगा, जिससे अंततः कृषि क्षेत्र को लाभ होगा। कांग्रेस ने इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए आरोप लगाया कि यह संकेत है कि सत्तारूढ़ पार्टी तीनों कानूनों को वापस लाने के प्रयास कर रही है, और कहा कि हरियाणा इसका मुंहतोड़ जवाब देगा।