हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ पहल को एक क्रांतिकारी कदम बताया है। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली से चुनावी खर्चों में कमी आएगी और प्रशासनिक व्यस्तता भी घटेगी।
जयराम ने यह भी कहा कि इससे सरकार को लंबे समय तक स्थिरता मिल सकेगी, जिससे विकास कार्यों को प्राथमिकता दी जा सकेगी। उनका मानना है कि एक साथ चुनाव कराने से राजनीतिक प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाया जा सकता है।
उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से इस पहल का समर्थन करने की अपील की, ताकि देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और सशक्त बनाया जा सके। जयराम ठाकुर के इस बयान ने इस मुद्दे पर चर्चा को और अधिक गति प्रदान की है।
यराम ठाकुर ने ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ को बताया युगांतकारी कदम
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शिमला से जारी एक बयान में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ के प्रस्ताव को सहमति देने को युगांतकारी कदम बताया है। उन्होंने कहा कि यह पहल देश के लोकतांत्रिक हितों को सशक्त करने के लिए आवश्यक थी, जिसे नरेंद्र मोदी की सरकार ने लागू किया है।
जयराम ठाकुर ने इस नीति के लागू होने से जनहित के कामों में सुगमता आने की बात कही। उन्होंने याद दिलाया कि यह पहली बार नहीं है, जब सभी चुनाव एक साथ होंगे। 1951-1952 में संविधान लागू होने के बाद पहली बार लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के लिए आम चुनाव एक साथ आयोजित किए गए थे, जो 1967 तक जारी रहा।
नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि केंद्र सरकार ने ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ की संभावनाओं का अध्ययन करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया था। इस समिति में प्रमुख राजनीतिक और कानूनी हस्तियों को शामिल किया गया था। जयराम ठाकुर ने कहा कि इस नीति से सार्वजनिक धन की बचत होगी, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और मजबूत किया जा सकेगा।