संजौली मस्जिद विवाद: वक्फ बोर्ड की सहमति और राज्य सरकार की नई दिशा

संजौली मस्जिद विवाद: वक्फ बोर्ड की सहमति और राज्य सरकार की नई दिशा

हाल के दिनों में, इस मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर विभिन्न विवाद सामने आए थे, और स्थानीय प्रशासन ने इसे लेकर कई बार नोटिस भी जारी किए थे। वक्फ बोर्ड की सहमति से यह स्पष्ट हो गया है कि मस्जिद की अवैध संरचनाओं को हटा दिया जाएगा, जो कि स्थानीय प्रशासन और कानूनी अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदमों की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।

इस कदम से मस्जिद के कानूनी और धार्मिक मानदंडों को फिर से स्थापित करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही, यह निर्णय स्थानीय समुदायों के बीच बढ़ते तनाव को भी कम करने में सहायक हो सकता है। वक्फ बोर्ड की इस सहमति ने स्थानीय प्रशासन को अवैध निर्माण को नियंत्रित करने में आवश्यक कानूनी समर्थन प्रदान किया है।

अब, प्रशासन और वक्फ बोर्ड मिलकर इस प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से लागू करने की दिशा में काम करेंगे, जिससे कि किसी भी प्रकार के विवाद या कानूनी जटिलताओं से बचा जा सके।

संजौली मस्जिद में हुए अवैध निर्माण को लेकर शुक्रवार को दो महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं। पहली, वक्फ बोर्ड ने मस्जिद कमेटी के फैसले के अनुसार अवैध निर्माण को हटाने पर अपनी सहमति दे दी है। दूसरी ओर, राज्य सरकार ने मस्जिद की जमीन के मालिकाना हक को स्पष्ट करने के लिए राज्य सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है और लॉ सेक्रेटरी से भी राय ली जा रही है। इस वजह से मस्जिद के अवैध हिस्से को सील करने के निर्णय में अभी देरी हो रही है।

वक्फ बोर्ड के एस्टेट ऑफिसर कुतुबुद्दीन ने नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री से मुलाकात की और इस पूरे मामले पर चर्चा की। वक्फ बोर्ड ने कहा कि यदि मस्जिद कमेटी खुद यह स्वीकार करती है कि संजौली में अढ़ाई मंजिल से अधिक का निर्माण अवैध है, तो वे उसे हटाने में कोई आपत्ति नहीं रखते। नगर निगम नियमों के अनुसार, जो भी कार्रवाई की जाएगी, उसे मान्य माना जाएगा।

नगर निगम का कहना है कि मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड दोनों के पक्ष स्पष्ट हैं, और आगामी कार्रवाई सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए की जाएगी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सचिवालय में इस मामले पर बैठक बुलाई, जिसमें भाजपा की आपत्ति के बाद पहले मालिकाना हक को स्पष्ट किया जाएगा। इसके बाद अवैध निर्माण पर कार्रवाई की जाएगी। नगर निगम की कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 5 अक्टूबर को है, लेकिन मस्जिद को सील करने का काम उससे पहले हो सकता है। स्थानीय विधायक हरीश जनारथा ने बताया कि शिमला शहर में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए कदम उठाए जा रहे

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