भगवान नरसिंह की डेढ़ घंटे की जलेब यात्रा ने ढालपुर में सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण सूत्र बांधा। यह यात्रा, जो अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के चौथे दिन आयोजित की गई, न केवल कुल्लू बल्कि देश-विदेश से आए भक्तों का ध्यान खींचने में सफल रही। सोने और चांदी के आभूषणों से सजे सैंज घाटी के देवी-देवताओं के साथ भगवान नरसिंह की यह यात्रा अद्भुत और अलौकिक दृश्य प्रस्तुत कर रही थी।
यात्रा की शुरुआत राजा की चानणी से हुई, जिसमें पुलिस जवानों ने सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद नरसिंह भगवान की घोड़ी, देवी-देवताओं के बजंतरी और नरसिंह की पालकी के साथ यात्रा पूरे ढालपुर क्षेत्र में घूमी। इस यात्रा में शामिल 300 से अधिक देवी-देवता दर्शकों के मन को मोह रहे थे, जो भक्ति में लीन होकर इस दृश्य का आनंद ले रहे थे।
सैंज घाटी के पांच देवी-देवताओं ने भी यात्रा में भाग लिया, जिसमें शैंशर के मनु ऋषि, रैला के लक्ष्मीनारायण, और अन्य शामिल थे। मंत्रमुग्ध करने वाले वाद्य यंत्रों की धुन पर देवी-देवता नाचते हुए इस जलेब यात्रा को और भी आकर्षक बना रहे थे।
पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बताया कि इस साल कुल्लू में 10 देशों के राजदूतों के साथ सम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जिससे पर्यटन और व्यवसाय के संबंधों को मजबूत किया जा सकेगा। कुल्लू का दशहरा उत्सव वास्तव में देवी-देवताओं का महाकुंभ है, जो स्थानीय संस्कृति के आदान-प्रदान का एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है।