हिमाचल प्रदेश में 25 दवाएं और 11 इंजेक्शन सब-स्टैंडर्ड पाए गए: सीडीएससीओ की जांच में खुलासा
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की हालिया जांच में हिमाचल प्रदेश के 18 उद्योगों में निर्मित 25 दवाएं मानक गुणवत्ता पर खरा नहीं उतर पाई हैं, जिनमें 11 इंजेक्शन भी शामिल हैं। यह जानकारी सीडीएससीओ द्वारा सितंबर में जारी ड्रग अलर्ट में सामने आई है। ये दवाएं तंत्रिका दर्द, जीवाणु संक्रमण, मधुमेह, और अवसाद जैसी सामान्य बीमारियों के इलाज में उपयोग होती हैं।
जिन दवाओं और इंजेक्शनों के सैंपल फेल हुए हैं, उनका निर्माण सोलन, कालाअंब, पावंटा साहिब, बद्दी, बरोटीवाला और कांगड़ा के नूरपुर में हुआ है। इसके अलावा, अन्य राज्यों जैसे महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात, और उत्तराखंड में भी 45 प्रकार की दवाएं सब-स्टैंडर्ड पाई गई हैं।
राज्य दवा नियंत्रक ने दोषी कंपनियों को नोटिस जारी कर उनके उत्पादों के बैच को बाजार से वापस मंगवाने के निर्देश दिए हैं। नालागढ़ की एक फर्म को भी विनिर्माण बंद करने का आदेश दिया गया है, और उसकी तीन दवाएं एनएसक्यू सूची में शामिल हैं।
सब-स्टैंडर्ड दवाएं:
- न्यूरोटेम-एनटी
- बी साइडल 625 टैबलेट
- ट्रिप्सिन
- ब्रोमेलैन
- ग्लिपिज़ाइड टैबलेट
- निमेसुलाइड टैबलेट
- सिप्रो लोक्सासिन टैबलेट
- सेफपोडोक्साइम टैबलेट
- डीएम कफ सिरप
सब-स्टैंडर्ड इंजेक्शन:
- ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन
- कैल्शियम ग्लूकोनेट
- प्रोमेथाजिन हाइड्रोक्लोराइड
- जेंटामाइसिन सल्फेट
- हेपरिन सोडियम इंजेक्शन
राज्य औषधि नियंत्रक मनीष कपूर ने कहा कि सभी संबंधित कंपनियों को नोटिस जारी कर आवश्यक अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए गए हैं।