सामेज हादसे के मामले में इसरो से प्राप्त सेटेलाइट डेटा महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। यह डेटा घटना के कारणों और स्थिति का विश्लेषण करने में मदद करेगा, जिससे सही निर्णय लेने में सहायता मिलेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस डेटा के जरिए हादसे की
इस बरसात में 31 जुलाई की रात रामपुर के समेज में आए सैलाब के प्रमाण मिले हैं। हिमाचल सरकार को इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर से सेटेलाइट डेटा प्राप्त हुआ है, जो दर्शाता है कि श्रीखंड कैलाश के रास्ते में फटे बादलों के कारण तीन खड्डों में एक साथ बाढ़ आई थी। पानी की तेज़ स्पीड ने किसी भी संरचना को रोकना असंभव बना दिया। सेटेलाइट तस्वीरों में दिखता है कि समेज खड्ड का दायरा कई जगह 35 मीटर से बढ़कर 115 मीटर हो गया।
आपदा प्राधिकरण अब रिवेन्यू रिकॉर्ड के साथ सेटेलाइट डेटा का मिलान कर रहा है। मलाणा में हुए नुकसान की रिपोर्ट भी अभी आनी बाकी है। इन रिपोर्टों के आधार पर राज्य सरकार नदी-नालों के किनारे बसे गांवों को नई जगह बसाने का निर्णय ले सकती है। हिमालय नीति अभियान ने भी घटनास्थल का दौरा कर सिफारिशों के साथ एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है। हालांकि, कोई भी फैसला लेने से पहले राज्य आपदा प्राधिकरण सेटेलाइट डेटा का इंतजार कर रहा था।