फॉरेस्ट इंजीनियरिंग विंग पर निर्णय लंबित

फोरेस्ट के इंजीनियरिंग विंग पर फैसला नहीं

फॉरेस्ट इंजीनियरिंग विंग पर निर्णय अभी तक नहीं लिया गया है, जिससे संबंधित विभागों में चिंता बनी हुई है। इस मामले में लंबित निर्णय का प्रभाव वन संरक्षण और विकास परियोजनाओं पर पड़ सकता है। संबंधित अधिकारी इस मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं मिल पाए हैं। इस स्थिति से राज्य के वन्य क्षेत्रों के विकास और प्रबंधन में बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं। जल्द ही इस मामले में अंतिम निर्णय की अपेक्षा की जा रही है।

हिमाचल प्रदेश के वन विभाग में इंजीनियरिंग विंग को बंद करने का निर्णय लिया गया है, लेकिन इस पर अभी तक अमल नहीं हो सका है। मंगलवार को मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने चार विभागों के अधिकारियों की बैठक बुलाई, जिसमें तीन विभागों में इंजीनियरिंग विंग के अधिकारियों और कर्मचारियों को समायोजित करने की योजना बनाई गई थी। हालांकि, वन विभाग के सभी संबंधित अधिकारी बैठक में उपस्थित नहीं हुए, जिससे चर्चा आगे बढ़ नहीं पाई।

मुख्य सचिव ने अधिकारियों को पूरी तैयारी से बैठक में आने की सलाह दी और पहले अतिरिक्त मुख्य सचिव वन के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने का निर्देश दिया। बताया जा रहा है कि वन विभाग के इंजीनियरिंग विंग में 18 अधिकारी और कर्मचारी हैं, जिनमें एसडीओ और एक्सईएन स्तर के लोग शामिल हैं।

यह विंग कई सालों से कार्यरत था, लेकिन प्रदेश सरकार ने पिछले साल इसे बंद करने का निर्णय लिया था। कुछ कर्मचारियों को जल शक्ति विभाग और कुछ को लोक निर्माण विभाग में समायोजित किया जाना था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। इस कारण मुख्य सचिव ने संबंधित अधिकारियों से सवाल किया कि इस प्रक्रिया में देरी क्यों हो रही है। जल शक्ति और लोक निर्माण विभाग ने अपनी स्थिति स्पष्ट की, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों के अनुपस्थित रहने के कारण मसले पर गंभीर चर्चा नहीं हो सकी। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को अगली बैठक के लिए तैयारी करने का निर्देश दिया है।

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