हिमाचल हाई कोर्ट द्वारा मुख्य संसदीय सचिवों (CPS) को पद से हटाने और कानून को निरस्त करने के बाद अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचेगा। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई होगी। हिमाचल सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं। पहली याचिका हिमाचल सरकार बनाम कल्पना देवी है, जबकि दूसरी याचिका उन विधायकों की ओर से है, जो मुख्य संसदीय सचिव के पद पर थे। यह याचिका भाजपा विधायकों सतपाल सिंह सत्ती और अन्य के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट में नए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) के बेंच में यह मामला लिस्ट हुआ है। सुप्रीम कोर्ट में इस तरह के मामले आमतौर पर शुक्रवार को ही लिए जाते हैं, इसलिए यह केस पहले ही टेंपरेरी लिस्ट में आ गया था।
CPS का भविष्य सुप्रीम कोर्ट पर निर्भर
मुख्य संसदीय सचिवों का भविष्य अब सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर निर्भर करेगा। हिमाचल हाई कोर्ट ने अपने फैसले में इन्हें ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के 1971 के कानून के तहत मिलने वाली सुरक्षा को भी हटा दिया था। इसके चलते हिमाचल सरकार अब सुप्रीम कोर्ट से 2006 के CPS कानून और ऑफिस ऑफ प्रॉफिट से जुड़े प्रोटेक्शन को बचाने का निवेदन करेगी।
भाजपा ने भी की तैयारी
विपक्षी भाजपा ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर कर दी है, ताकि बिना उनका पक्ष सुने कोई निर्णय न लिया जाए। भाजपा हाई कोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट के रुख का इंतजार कर रही थी और अब इस सुनवाई में दलीलें पेश करेगी। पार्टी ने अभी तक गवर्नर के पास याचिका नहीं लगाई है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले का प्रभाव पार्टी की अगली रणनीति पर पड़ेगा।
इस सुनवाई का नतीजा हिमाचल प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका निभाएगा।