हिमाचल प्रदेश में डेढ़ महीने से बारिश न होने के कारण सूखे जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं, जिससे पेयजल योजनाएं और किसानों की फसलें प्रभावित हो रही हैं। 1 अक्टूबर से 14 नवंबर तक राज्य में सामान्य से 98% कम बारिश हुई है, जिससे कांगड़ा, किन्नौर, लाहुल-स्पीति, मंडी, शिमला और ऊना जैसे जिलों में मामूली बारिश ही हुई है।
इस ड्राई स्पैल का सबसे ज्यादा असर कृषि पर पड़ा है, खासकर गेहूं की बिजाई पर, क्योंकि खेतों की नमी सूख गई है और किसानों के पास पर्याप्त पानी नहीं है। विशेष रूप से सिंचित क्षेत्रों में ही किसान गेहूं की फसल लगा पाए हैं, जबकि गैर-सिंचित क्षेत्रों में किसान बारिश के लिए इंतजार कर रहे हैं।
इसके अलावा, पेयजल संकट भी गहरा रहा है, क्योंकि 50% पेयजल योजनाएं प्रभावित हो चुकी हैं। जलशक्ति मंडल के अधिकारी सुमित विमल कटोच ने बताया कि अगर जल्द बारिश नहीं हुई तो स्थिति और गंभीर हो सकती है। धर्मशाला में पानी की आपूर्ति बनाए रखने के लिए विभाग प्रयासरत है, लेकिन सूखा और बारिश की कमी से यह संकट बढ़ सकता है।
बारिश न होने से स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ी हैं, खासकर सूखी ठंड, धूल और आसमान में छाई धुंध के कारण लोग बीमार हो रहे हैं। अस्पतालों में ओपीडी बढ़ गई है और लंबी कतारें लग रही हैं। किसान और आम लोग अब इंद्रुनाग, बारिश के देवता से मदद की गुहार लगा रहे हैं, ताकि बारिश हो सके और उनकी समस्याएं हल हो सकें।