कांगड़ा और मकलोडगंज बस अड्डों का मामला राज्य कैबिनेट में पेश किया जाएगा, जहां इसके भविष्य को लेकर निर्णय लिया जाएगा। बस अड्डा मैनेजमेंट अथॉरिटी के पास इन विवादित अड्डों के लिए आर्बिट्रेशन की राशि नहीं है, जिसके चलते यह मुद्दा सरकार के समक्ष रखा गया है। हाल ही में हुई निदेशक मंडल की बैठक में दोनों बस अड्डों को वापस अपने कब्जे में लेने का प्रस्ताव रखा गया। हालांकि, इसके लिए 25 करोड़ रुपए की आवश्यकता है, जो आर्बिट्रेशन के तहत भुगतान के लिए जरूरी है।
यदि सरकार इन अड्डों को वापस लेना चाहती है, तो 25 करोड़ रुपए की राशि तत्काल देनी होगी, अन्यथा देरी से आर्बिट्रेशन का खर्च और बढ़ सकता है। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री ने निर्देश दिया है कि बस अड्डा मैनेजमेंट अथॉरिटी इस प्रस्ताव को कैबिनेट में लाए, ताकि सरकार इस पर चर्चा कर उचित निर्णय ले सके।
कांगड़ा बस अड्डा वर्तमान में संचालित हो रहा है, जबकि मकलोडगंज बस अड्डा अभी भी विवादों में है। दोनों अड्डों का संचालन एक निजी कंपनी के अधीन था, जिसे पीपीपी मोड पर सौंपा गया था। इसके अलावा, अन्य बस अड्डों जैसे धर्मशाला और शिमला (टूटीकंडी) के आईएसबीटी से जुड़े विवाद भी लंबित हैं। इन सभी मुद्दों पर राज्य सरकार विशेष सतर्कता बरतते हुए जल्द समाधान की कोशिश कर रही है।