हिमाचल प्रदेश शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए दिसंबर में होने वाले परख परीक्षा से पहले “फेल न करने की नीति” का समाधान खोजने की तैयारी कर रहा है। राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक बच्चों को खराब प्रदर्शन के बावजूद पास करना पड़ता है। इसका परिणाम यह है कि छात्रों के सीखने का स्तर तेजी से गिर रहा है। इस नीति के कारण न बच्चों में फेल होने का डर है, न शिक्षकों की जवाबदेही तय हो रही है, और न ही अभिभावकों को बच्चों के फेल होने की चिंता। इसके चलते नौवीं कक्षा में पहुंचने पर भी कई छात्र चौथी कक्षा का गणित तक नहीं कर पाते।