पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेल लाइन पर सेवाएं नहीं चल पा रही हैं, जिससे स्थानीय लोगों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। रेलवे और एनएचएआई के बीच गतिरोध के कारण ट्रेनों का संचालन प्रभावित हुआ है। कांगड़ा रेलवे स्टेशन से बैजनाथ तक ट्रेनें चल रही हैं, लेकिन कांगड़ा से पठानकोट तक कोई ट्रेन नहीं पहुंच पा रही है। एनएचएआई द्वारा रानीताल के पास रेलवे ट्रैक के नजदीक भारी पत्थर रखे गए हैं, जो सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं। रेलवे द्वारा बार-बार अनुरोध करने के बावजूद इन पत्थरों को नहीं हटाया गया है, और माना जा रहा है कि ये पत्थर चलते ट्रेनों पर गिर सकते हैं।
स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि इस ट्रैक को दुरुस्त किया जाए और इन खतरनाक चट्टानों को हटाया जाए, ताकि ट्रेनों का संचालन फिर से सुचारू रूप से हो सके। विशेष रूप से इस रूट पर ग्रामीण लोग रेलवे सेवा पर निर्भर हैं। जानकारी के अनुसार, केवल 100 मीटर ट्रैक को ठीक करने की आवश्यकता है, जिसके बाद कांगड़ा से नूरपुर तक ट्रेन सेवा फिर से शुरू की जा सकती है।
बरसात के दौरान रानीताल के पास फोरलेन निर्माण के कारण रेलवे ट्रैक को नुकसान हुआ था, और तीन महीने बाद भी इसे दुरुस्त नहीं किया गया है। इस क्षेत्र के लोग बस सेवा की कमी के कारण अधिकतर रेलगाड़ी में यात्रा करते हैं, खासकर माता के भक्त जो रानीताल रेलवे स्टेशन पर उतरकर ज्वाला माता और कांगड़ा माता के दर्शन करने जाते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेल लाइन को पूरी तरह से चालू किया जाए ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो सके। रेलवे विभाग इसे सुधारने की कोशिश कर रहा है, लेकिन एनएचएआई को भी इस मुद्दे को गंभीरता से हल करना होगा ताकि ट्रैक पूरी तरह से चालू हो सके।