विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि पिछले सरकारों के दौरान भी वित्तीय संकट जैसी स्थितियाँ बनी हुई थीं, जो मुख्य रूप से राजस्व घाटे की वजह से थीं। उन्होंने बताया कि हाई कोर्ट ने होटल्स में आक्यूपेंसी को लेकर जो आदेश दिया है, वह कुछ विवादित है। कई होटल्स में केवल आक्यूपेंसी नहीं, बल्कि अन्य गतिविधियाँ भी चल रही हैं, जैसे कि चायल होटल में कॉर्पोरेट मीटिंग्स और शादियाँ आयोजित की जाती हैं, जिन्हें कोर्ट ने संज्ञान में नहीं लिया। विक्रमादित्य ने कहा कि सरकार इस फैसले की समीक्षा करेगी और भविष्य में इस मुद्दे पर कैसे आगे बढ़ना है, यह सरकार का अधिकार है।
उन्होंने पीडब्ल्यूडी मंत्री के बयान का हवाला देते हुए कहा कि पहले राज्य को 12 हजार करोड़ रुपये का राजस्व घाटा अनुदान मिलता था, जो अब घटकर 4 हजार करोड़ रुपये रह गया है। इस राजस्व घाटे की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल को जवाब देते हुए कहा कि वित्तीय संरचना में सभी की समान भागीदारी है, और भाजपा इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। भाजपा को यह बताना चाहिए कि उनकी सरकार ने वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए क्या कदम उठाए।
वहीं, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रयासों को लेकर विक्रमादित्य ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पिछले दो सालों में आय के नए साधन बढ़ाने की कोशिश की है। उन्होंने जल संसाधन पर एक बड़ा फैसला लिया है, जिसमें बिजली कंपनियों से 18 प्रतिशत रॉयल्टी प्राप्त करने की बात की गई है, और ऐसा न करने वाले बिजली प्रोजेक्ट्स को सरकार वापस ले सकती है।