हिमाचल प्रदेश में सेब की खेती के क्षेत्र में किसानों के लिए खुशखबरी है। राज्य सरकार अब 200 से 500 रुपए के बीच ‘ए’ ग्रेड सेब के पौधे उपलब्ध करवा रही है, जिससे किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले सेब के पौधे सस्ते दामों में मिल सकेंगे। इस पहल का उद्देश्य सेब की खेती को बढ़ावा देना और प्रदेश के कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाना है।
राज्य सरकार ने किसानों को सेब के पौधे देने के लिए विशेष योजनाएं बनाई हैं। ‘ए’ ग्रेड के पौधों का उपयोग करने से किसानों को बेहतर गुणवत्ता वाले सेब की फसल मिल सकती है, जो बाजार में उच्च कीमत पर बिक सकते हैं। इसके साथ ही, इससे सेब की उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि हो सकती है।
बागवानी विभाग की पहल
हिमाचल प्रदेश के बागवानी विभाग ने इस योजना को लागू करने का फैसला लिया है, जिसमें किसानों को सेब के ‘ए’ ग्रेड पौधे दिए जाएंगे। इन पौधों को चयनित बागवानी केंद्रों से खरीदा जा सकता है, और राज्य सरकार ने इनकी बिक्री के लिए उचित मूल्य निर्धारित किया है, जो किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।
किसानों के लिए लाभ
इस योजना से किसानों को सस्ती दरों पर उच्च गुणवत्ता वाले पौधे मिलेंगे, जिससे उन्हें अच्छे सेब की फसल प्राप्त होगी। इसके अलावा, सरकार द्वारा इन पौधों की देखभाल के लिए भी प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, ताकि किसानों को सही तरीके से बागवानी करने में मदद मिल सके।
आने वाले समय में, इससे हिमाचल प्रदेश में सेब के उत्पादन में बढ़ोतरी होने की संभावना है, जिससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी और किसानों की आय में वृद्धि होगी।
प्रदेश में सोमवार से सेब और अन्य फलों के पौधों की बिक्री शुरू हो जाएगी। बागवानी विश्वविद्यालय नौणी, मशोबरा और अन्य रिसर्च केंद्रों ने इसके लिए तैयारियां पूरी कर ली हैं। बागबानों को सेब के ‘ए’ ग्रेड पौधे 200 से 500 रुपये के बीच, ‘बी’ ग्रेड 150 से 400 रुपये और ‘सी’ ग्रेड 100 से 300 रुपये के दामों पर उपलब्ध होंगे। इसके अलावा, अन्य फलों जैसे खुमानी, प्लम, आड़ू, बादाम, अखरोट, पीकान और स्ट्रॉबेरी के पौधे भी अलग-अलग कीमतों पर मिलेंगे। सेब के पौधों की बिक्री के लिए बागवानी विश्वविद्यालय दो लाख से अधिक पौधे उपलब्ध करवा रहा है, जिनकी गुणवत्ता की गारंटी रहती है क्योंकि ये पौधे विश्वविद्यालय ने खुद तैयार किए हैं।
बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने बताया कि विभाग के पास चार लाख 32 हजार पौधे तैयार हैं, जिनमें सेब, कीवी, अनार, खुमानी, आड़ू, चेरी, अखरोट और अन्य पौधे शामिल हैं। इन पौधों की बिक्री राज्य के विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्रों और अनुसंधान स्टेशनों पर की जाएगी।
हालांकि, बागबानों के लिए एक चिंता का विषय प्रदेश में बारिश और बर्फबारी का न होना है। सूखा पड़ा हुआ है और बागबानों को इस बात की चिंता है कि वे नए पौधों को कैसे लगाएंगे और उनकी देखभाल कैसे करेंगे। बागवानी विभाग ने इस स्थिति के समाधान के लिए किसानों को सहायता देने की योजना बनाई है, ताकि वे पौधों का सही तरीके से पालन-पोषण कर सकें।