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ठेकेदारों की मुश्किलें: वेतन भुगतान पर संकट, PWD में गहराया असर

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हिमाचल प्रदेश में राज्य सरकार ने कर्मचारियों के आर्थिक संकट को तो टाल दिया है, लेकिन ठेकेदार अब गहरे आर्थिक संकट में फंस गए हैं। पीडब्ल्यूडी सहित विभिन्न विभागों में विकास परियोजनाओं के लिए काम कर रहे ठेकेदारों को लंबे समय से भुगतान नहीं मिल पा रहा है। अकेले पीडब्ल्यूडी के करीब 800 करोड़ रुपये फंसे होने का अनुमान है। 21 नवंबर के बाद ट्रेजरी में जमा बिलों का भुगतान नहीं हो सका है, जबकि इससे पहले नवंबर की शुरुआत में चार से छह दिनों के भीतर आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान हो रहा था। नाबार्ड सहित अन्य सड़क परियोजनाओं के लिए ठेकेदारों के बिल विभाग को प्राप्त हो रहे हैं, लेकिन ट्रेजरी में जाकर ये बिल अटक रहे हैं। इससे ठेकेदारों और उनके मजदूरों को भारी आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

इसके अलावा, कई ठेकेदारों ने काम शुरू करने से पहले ऊंची ब्याज दरों पर ऋण लिया था, जिससे उनके सामने दिवालियापन की स्थिति पैदा हो रही है। ठेकेदार अपने इंजीनियरों, ड्राइवरों और मजदूरों को वेतन देने में असमर्थ हैं। 21 नवंबर के बाद स्थिति और अधिक खराब हो गई है, जिससे ठेकेदारों की शिकायतें भी बढ़ने लगी हैं। इस संबंध में ठेकेदारों ने पीडब्ल्यूडी मंत्री और डायरेक्टर ट्रेजरी से भी शिकायत की है। भुगतान न होने के कारण प्रदेश में निर्माण कार्य रुकने की आशंका है।

पीडब्ल्यूडी के प्रमुख अभियंता एनपी सिंह ने बताया कि विभाग के पास आने वाले सभी बिलों को समय पर निपटाया जा रहा है। जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद ये बिल ट्रेजरी को भेजे जाते हैं, और विभाग की तरफ से कोई भी बिल नहीं रोका गया है।

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