प्रदेश के विकास में लेबर की अहम भूमिका | हिमाचल प्रदेश

development-himachal-labor-role
नेपाल की राजधानी काठमांडू में इंटरनेशनल बिल्डिंग एंड वूड वर्कर्स साउथ एशिया की बैठक रविवार को निदेशक डा. राजीव शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित की गई। यह बैठक 16 दिसंबर तक चलेगी। इस सम्मेलन में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल के ट्रेड यूनियन पदाधिकारियों ने भाग लिया। हिमाचल, कर्नाटक, गुजरात और तमिलनाडू के प्रतिनिधियों ने भी इसमें अपनी भागीदारी दर्ज की। हिमाचल से आल हिमाचल आईपीएचपीडब्ल्यूडी कांट्रैक्चुअल वर्कर्स यूनियन (इंटक) के प्रदेश संगठन सचिव प्रेम लाल भाटिया ने सम्मेलन में भाग लिया और महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की।

प्रेम लाल भाटिया ने बैठक में बताया कि साउथ एशिया में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान जैसे विश्व बैंक, एआईआईबी, यूरोपीय इन्वेस्टमेंट बैंक, इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन और एशियाई विकास बैंक जैसे संगठन निर्माण परियोजनाओं के लिए फंडिंग प्रदान करते हैं। इन संस्थानों के योगदान से विभिन्न देशों और प्रदेशों में बड़े निर्माण कार्यों को गति मिलती है। इसके साथ ही, उन्होंने निर्माण श्रमिकों के कल्याण के लिए ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि इन परियोजनाओं में काम करने वाले श्रमिकों की स्थिति बेहतर हो सके।

बैठक में तमिलनाडू के भवन और अन्य निर्माण श्रम कल्याण बोर्ड के चेयरमैन पोन कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि किसी भी देश या प्रदेश के समग्र विकास में लेबर की महत्वपूर्ण भूमिका है, लेकिन श्रमिकों के हितों के साथ हमेशा खिलवाड़ होता रहा है। उनके अनुसार, जहां ट्रेड यूनियन सक्रिय होती हैं, वहां श्रमिकों की स्थिति में सुधार होता है। लेकिन जहां यूनियनों का अभाव होता है, वहां मजदूरों के अधिकारों की रक्षा नहीं हो पाती।

यह बैठक दक्षिण एशियाई देशों में श्रमिकों के कल्याण, उनके अधिकारों और उनके हितों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।

नई दिशा की ओर बढ़ेगा श्रमिकों का भविष्य

बैठक में यह भी चर्चा की गई कि सभी देशों में श्रमिकों के लिए बेहतर कल्याण योजनाओं की आवश्यकता है। साथ ही, निर्माण कार्यों में लेबर के अधिकारों की सुरक्षा के लिए मजबूत कानून बनाने पर भी विचार किया गया। इससे न केवल श्रमिकों की स्थिति में सुधार होगा, बल्कि देश और प्रदेशों के विकास में भी तेजी आएगी। इस बैठक के बाद, यह उम्मीद जताई जा रही है कि दक्षिण एशियाई देशों के बीच बेहतर सहयोग और समन्वय से श्रमिकों के लिए एक सशक्त और समृद्ध भविष्य की दिशा में काम किया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Talk on WhatsApp