सुप्रीम कोर्ट गई सरकार, ताज मोहम्मद और लेख राम केस में दायर की नई एसएलपी

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हिमाचल प्रदेश सरकार ने ताज मोहम्मद और लेख राम से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट में नई एसएलपी (स्पेशल लीव पिटीशन) दायर की है। यह कदम राज्य सरकार ने उन मामलों में पुनः विचार करने के लिए उठाया है, जिनमें न्यायिक निर्णय उनके पक्ष में नहीं थे।

हिमाचल सरकार का सुप्रीम कोर्ट में कदम

हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में अनुबंध कर्मचारियों को सीनियरिटी और परिणामी लाभ न देने के लिए सरकार ने एक विधेयक पास किया है, लेकिन इससे पहले राज्य सरकार ने ताज मोहम्मद और लेख राम केस में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

एसएलपी दायर की गई

सिविल सप्लाई विभाग की ओर से सुप्रीम कोर्ट में Special Leave Petition (SLP) दायर की गई है, जिसमें हिमाचल हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें कर्मचारियों को वरिष्ठता और परिणामी लाभ देने का निर्देश दिया गया था। यह वही मामला है जिसमें कोर्ट ने सिविल सप्लाई के प्रधान सचिव को दो लाख रुपये की cost लगाने की चेतावनी दी थी। हालांकि, बाद में सरकारी वकीलों के तर्कों के बाद cost नहीं लगाई गई थी।

राज्य सरकार का तर्क

राज्य सरकार ने हिमाचल हाई कोर्ट में कुछ सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लेख करते हुए तर्क दिया कि पिछले 20 वर्षों से सीनियरिटी को नहीं बदला जा सकता। इसके अलावा, सरकार ने यह भी कहा कि अगर फैसले के अनुसार लाभ दिए जाते हैं तो इसके और प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों में ऐसी व्यवस्था दी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने पूर्व के निर्णय के आधार पर लाभ देने का निर्देश दिया था।

नई याचिका और निर्णय का इंतजार

अब राज्य सरकार ने नए सिरे से याचिका दायर की है। जैसे ही यह याचिका मंजूर होगी, सिविल सप्लाई के प्रधान सचिव सभी प्रशासनिक सचिवों को पत्र भेजेंगे और वरिष्ठता न देने के निर्देश देंगे, ताकि फैसले का इंतजार किया जा सके। हालांकि, यह मामला पहले भी सुप्रीम कोर्ट से decided हो चुका था, लेकिन इस बार केस की merit बदली गई है।

सरकार की नज़र विधेयक पर

राज्य सरकार यह तर्क दे रही है कि वर्तमान तिथि से जितना संभव था, वह राज्य सरकार करने को तैयार है, लेकिन past dates से यह करना संभव नहीं है। दूसरी तरफ, विधानसभा में पास हुए नए विधेयक की मंजूरी Governor से कितनी जल्दी मिलती है, इस पर सरकार की नज़र है। यह नया कानून बनने के बाद कोर्ट में जा रहे मामलों में सरकार को एक और legislative defense मिलेगा।

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