हिमाचल कैबिनेट में राधा स्वामी सत्संग ब्यास को लैंड सीलिंग एक्ट में छूट देने पर सहमति नहीं

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राधा स्वामी सत्संग ब्यास को लैंड सीलिंग एक्ट की सीमा से बाहर मिली जमीन ट्रांसफर करने की अनुमति देने पर हिमाचल प्रदेश कैबिनेट में सहमति नहीं बन पाई है। यह मामला कैबिनेट में चर्चा के लिए रखा गया था, लेकिन मंत्रियों के बीच सहमति न बनने के बाद इसे वापस ले लिया गया। अब इस मामले को विधि सचिव और एडवोकेट जनरल की मंजूरी के बाद पुनः संशोधित प्रस्ताव के साथ कैबिनेट में लाया जाएगा। राज्य सरकार जल्द ही इसे सर्कुलेशन के माध्यम से मंजूरी देने का रास्ता भी अपना सकती है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पहले ही मीडिया में यह घोषणा की है कि 18 दिसंबर को शीतकालीन सत्र के पहले दिन यह मुद्दा विधानसभा में रखा जाएगा।

राजस्व विभाग ने इस मामले को लेकर कैबिनेट में एक प्रस्ताव रखा था, जिसमें पुराने एग्रीमेंट के आधार पर इस जमीन को सरकार में निहित करने की सिफारिश की गई थी। हालांकि, कुछ मंत्रियों ने इस संशोधन पर सवाल उठाए और इसे लैंड सीलिंग एक्ट की मूल भावना के खिलाफ बताया। इसके साथ ही यह भी तर्क दिया गया कि लैंड सीलिंग एक्ट में छूट देने से धारा-118 का उल्लंघन होगा, जिससे लैंड ट्रांसफर संभव नहीं होगा। इस मामले में भारत सरकार की मंजूरी भी आवश्यक होगी, जैसा कि पहले राधा स्वामी सत्संग ब्यास को सीलिंग से बाहर करने के समय हुआ था।

इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार की ओर से बेटियों को लैंड सीलिंग एक्ट में समान अधिकार देने के लिए भेजे गए संशोधन को भी भारत सरकार की मंजूरी नहीं मिल पाई है।

हिमाचल प्रदेश में लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन को लेकर की गई बैठक में सहमति नहीं बन पाई है। राज्य सरकार ने कृषि भूमि की अधिकतम सीमा को लेकर बदलाव लाने की कोशिश की थी, लेकिन विभिन्न पक्षों के बीच विचार-विमर्श के बावजूद इस पर कोई ठोस फैसला नहीं हो सका। यह एक्ट राज्य में भूमि के स्वामित्व और वितरण को नियंत्रित करता है, और इसकी सीमा का उल्लंघन होने पर किसानों को अपनी भूमि का इस्तेमाल करने में मुश्किलें आती हैं।

कृषि और भूमि सुधार विभाग की बैठक में कई दावों और विरोधाभासी विचार सामने आए, जिसमें भूमि के सीमित उपयोग के अधिकार को लेकर विभिन्न हितधारकों ने अपनी आपत्तियां जताई। खासकर बड़े किसानों और भूमि धारकों ने भूमि सीलिंग की सीमा को बढ़ाने की मांग की, वहीं छोटे किसानों ने इसे अपने अस्तित्व के लिए खतरे के रूप में देखा।

इस मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों की ओर से भी प्रतिक्रिया सामने आई है, और अब सरकार को इसे लेकर और विचार करने के लिए कहा गया है। इस संबंध में आगामी बैठक में और चर्चा करने का निर्णय लिया गया है।

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