हिमाचल प्रदेश में सूखे की स्थिति गेहूं और रबी फसलों के उत्पादन पर भारी पड़ने की आशंका है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, बारिश न होने के कारण फसल उत्पादन में लगभग 25 प्रतिशत की गिरावट हो सकती है। रबी मौसम की प्रमुख फसल गेहूं है, जबकि सरसों, मटर, आलू, पालक, मूली, मसूर, और अलसी जैसी अन्य फसलों की बिजाई का उपयुक्त समय निकल चुका है। पिछले दो महीने से प्रदेश में बारिश न होने के कारण जमीन में नमी की कमी है, जिससे फसलों की बुवाई बाधित हो रही है। गेहूं की समय पर बुवाई के लिए 15 अक्तूबर से 15 नवंबर का समय आदर्श माना जाता है, लेकिन बारिश की कोई संभावना न दिखने से स्थिति और गंभीर हो गई है।
हिमाचल प्रदेश में सूखे का प्रभाव बड़े पैमाने पर दिखाई दे रहा है। प्रदेश के 3.50 लाख हेक्टेयर कृषि क्षेत्र में गेहूं की बुवाई की जाती है, लेकिन इस बार केवल 15 प्रतिशत क्षेत्र में ही बुवाई संभव हो पाई है। उत्पादन में कमी और बुवाई के रुकने से किसानों में निराशा का माहौल है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार फसलों के उत्पादन का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होगा। खासकर कांगड़ा और मंडी जैसे जिलों में, जहां क्रमशः 90 हजार और 60 हजार हेक्टेयर में गेहूं की खेती होती है, सूखे का प्रभाव सबसे अधिक देखने को मिलेगा।