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हिमाचल में सरकारी कर्मचारियों की भर्ती और सेवा शर्तें विधेयक 2024, 2003 से लागू करने का निर्णय

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हिमाचल प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारियों की भर्ती और सेवा शर्तें विधेयक 2024 को दिसंबर 2003 से लागू किया है। यह निर्णय भर्ती नियमों में हुई एक गलती को सुधारने के लिए लिया गया है, जिसके चलते पहले भर्ती नियमों को लेकर कानूनी चुनौतियाँ सामने आई थीं। नए विधेयक में 2003 से अब तक नियुक्त किए गए संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के बराबर न समझने की व्यवस्था की गई है। यह विधेयक राज्यपाल की मंजूरी के बाद लागू होगा और राज्य सरकार इसे नोटिफाई करेगी। इस विधेयक का उद्देश्य प्रशासनिक व्यवस्था को सुव्यवस्थित बनाए रखना और वित्तीय बोझ से बचना है।

हिमाचल प्रदेश सरकार ने भर्ती और सेवा शर्तें विधेयक 2024 को 2003 से लागू किया

हिमाचल प्रदेश सरकार ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पारित किए गए हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारियों की भर्ती और सेवा शर्तें विधेयक 2024 को 12 दिसंबर 2003 से लागू करने का निर्णय लिया है। इसका कारण यह है कि 2003 में राज्य के मुख्य सचिव ने तत्कालीन सरकार के कैबिनेट निर्णय को सभी प्रशासनिक सचिवों तक पहुंचाया था। इस निर्णय में यह कहा गया था कि भर्ती नियमों में बदलाव किया जाए, और “डायरेक्ट रिक्रूटमेंट” और “कांट्रैक्ट बेसिस” जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाए। The government argued that this decision was necessary because, due to these terms, the contract policy could not be defended in court under Article 309 of the Constitution.

सुधार और लागू होने वाला नया कानून

अब, इस गलती को सुधारने के लिए नया कानून पारित किया गया है, जिससे यह आवश्यक है कि इसे पिछली तारीख से लागू किया जाए। नए कानून में 12 धाराएं हैं, जिसमें यह तय किया गया है कि 2003 से अब तक नियुक्त किए गए कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों पर रेगुलर नियुक्ति के नियम लागू नहीं होंगे। These contract employees will not be able to claim regular employment benefits. हालांकि, इस विधेयक को अभी राज्यपाल से मंजूरी मिलनी बाकी है, और उसके बाद राज्य सरकार इसे नोटिफाई करेगी, जिसके आधार पर कर्मचारी इसे कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।

कानूनी प्रावधान और वित्तीय प्रभाव

नया कानून यह भी कहता है कि संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत केवल नियमित कर्मचारियों को ही सेवाओं के लाभ मिल सकते हैं, और नॉन रेगुलर कर्मचारियों पर ये नियम लागू नहीं होंगे। The state government has stated that if contractual employees were treated the same as regular employees, it would not only put a huge financial burden on the state but also disturb the functioning of the administration.

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