हिमाचल में ग्रीन टैक्स से करोड़ों रुपए की कमाई हो रही है, लेकिन पार्किंग की सुविधाएं अब भी बेहद सीमित हैं। जानिए कैसे टैक्स के बावजूद मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।
मनाली में हरियाली बनाए रखने के लिए ग्रीन टैक्स बैरियर
हिमाचल प्रदेश की प्राकृतिक सुंदरता हर साल लाखों सैलानियों को आकर्षित करती है। मनाली में green tax barriers लगाए गए हैं, ताकि हरियाली बनी रहे और पार्किंग सुविधाओं में सुधार हो। हालांकि, पार्किंग की कमी के कारण सैलानियों को निराशा का सामना करना पड़ रहा है। Traffic congestion और जाम की मुख्य वजह भी यही कमी है।
2023-24 में ग्रीन टैक्स से करोड़ों की कमाई
मार्च 2023 से फरवरी 2024 के बीच 3,18,619 पर्यटक वाहन मनाली आए, जिससे 6,84,56,300 रुपए का राजस्व मिला। बावजूद इसके, पार्किंग सुविधाएं अब भी नाममात्र हैं।
पार्किंग और विकास कार्यों पर खर्च
मनाली वोल्वो बस स्टैंड के पास पार्किंग के सुधार पर 18 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। कोठी में पार्किंग निर्माण के लिए 1.92 करोड़ और ओल्ड मनाली पार्किंग पर 32 लाख का खर्च किया जा रहा है। इसके साथ ही beautification projects, जैसे माल रोड पर 22 लाख और नेचर पार्क गुलाबा में 50 लाख की लागत से R-walls और अन्य सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।
स्मार्ट सुविधाओं का वादा
अटल टनल रोहतांग के साउथ पोर्टल से पलचान ब्रिज तक CCTV cameras लगाने पर 25 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। ग्रीन टैक्स बैरियर को फास्टैग सुविधा के तहत अपग्रेड किया जा रहा है, ताकि बाहर से आने वाले वाहनों की सटीक संख्या आसानी से पता लग सके।
ग्रीन टैक्स की शुरुआत और उद्देश्य
ग्रीन टैक्स बैरियर की स्थापना 2004 में की गई थी। 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने Fastag-enabled system की आधारशिला रखी। इसका उद्देश्य हरियाली बनाए रखना और पर्यटन स्थलों पर सुविधाएं उपलब्ध कराना है।
क्या कहता है प्रशासन?
कुल्लू पर्यटन विकास अधिकारी सुनैना शर्मा के अनुसार, ग्रीन टैक्स बैरियर से एकत्रित धनराशि का उपयोग सैलानियों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराने में किया जाता है। कई जगहों पर free parking spaces भी दी जा रही हैं। हालांकि, पार्किंग की कमी को लेकर सैलानियों और स्थानीय प्रशासन को अभी भी ठोस action plan की जरूरत है।