हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने जल शक्ति विभाग में नियुक्त किए गए पांच पैरा पंप ऑपरेटरों की नियुक्तियों को cancel कर दिया है। कोर्ट ने विभाग को निर्देश दिया कि सभी उम्मीदवारों की योग्यता का पुनर्मूल्यांकन (re-evaluation) किया जाए। यह आदेश न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने याचिकाकर्ता राकेश कुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए जारी किए।
योग्यता का पुनर्मूल्यांकन जरूरी
कोर्ट ने जल शक्ति विभाग से कहा कि पुनर्मूल्यांकन के दौरान उम्मीदवारों द्वारा प्रस्तुत अनुभव प्रमाण पत्रों की जांच executive engineer द्वारा जारी प्रमाण पत्र के आधार पर की जाए। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि रिक्त पदों पर योग्य उम्मीदवारों को merit-based appointment दी जाए।
मामले की पृष्ठभूमि
जल शक्ति विभाग ने पात्र अभ्यर्थियों से पैरा पंप ऑपरेटर पद के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे। विज्ञापन के अनुसार, केवल हिमाचल प्रदेश जल शक्ति विभाग, पीडब्ल्यूडी (Public Works Department), सीपीडब्ल्यूडी (Central Public Works Department), या संबंधित आउटसोर्सिंग एजेंसियों द्वारा जारी कार्यकारी अभियंता के प्रमाण पत्र को वैध माना जाना था। याचिकाकर्ता और अन्य उम्मीदवारों ने चयन प्रक्रिया में भाग लिया।
चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप
मेरिट सूची के अनुसार, कुछ अभ्यर्थियों को job offers दी गई थीं, जबकि याचिकाकर्ता प्रतीक्षा सूची में पहले स्थान पर थे। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि निजी प्रतिवादियों को अनुभव के लिए गलत तरीके से अंक दिए गए, क्योंकि उनके अनुभव प्रमाण पत्र विज्ञापन में बताए गए प्राधिकारी द्वारा जारी नहीं किए गए थे।
कोर्ट का अवलोकन और आदेश
कोर्ट ने मामले के रिकॉर्ड का निरीक्षण करने के बाद पाया कि पांच पंप ऑपरेटरों द्वारा प्रस्तुत अनुभव प्रमाण पत्र विज्ञापन के अनुसार valid authority द्वारा जारी नहीं किए गए थे। इसी आधार पर कोर्ट ने इन नियुक्तियों को invalid घोषित कर दिया। कोर्ट ने आदेश दिया कि खाली पदों पर अब योग्य उम्मीदवारों को योग्यता के आधार पर नियुक्त किया जाए।
अभ्यर्थियों के लिए निष्पक्षता की ओर कदम
यह फैसला चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता (transparency) और योग्यता (fairness) सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि निर्धारित नियमों का पालन करना अनिवार्य है और किसी भी irregularity को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।