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हिमाचल हाई कोर्ट ने नकली दवा निर्माता कंपनी के मालिक की जमानत याचिका रद्द की

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हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में नकली दवाएं बनाने वाली कंपनी के मालिक की जमानत याचिका को रद्द कर दिया। कोर्ट ने दवाओं की गुणवत्ता की गंभीरता और समाज पर उनके प्रभाव को ध्यान में रखते हुए आरोपी को जमानत पर रिहा करने से इंकार किया।

जमानत खारिज करने का मुख्य कारण यह था कि नकली दवाएं स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल सकती हैं और इससे समाज में गलत संदेश जाएगा।हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में नकली दवाएं बनाने वाली कंपनी के मालिक अवेंद्र शुक्ला की जमानत याचिका को रद्द कर दिया। न्यायाधीश विरेंदर सिंह ने इस निर्णय में कहा कि “large quantity of fake drugs found during the investigation reflects the seriousness of the crime.” कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो यह समाज में गलत संदेश भेजेगा कि गंभीर अपराध के बावजूद आरोपी खुलेआम घूम सकता है। जमानत याचिका रद्द करते हुए कोर्ट ने “the impact of fake drugs on consumers” को भी ध्यान में रखा, क्योंकि ये दवाएं आम लोगों की स्वास्थ्य पर खतरनाक असर डाल सकती हैं।

कोर्ट ने कहा कि सरकारी विश्लेषक और चंडीगढ़ की “Regional Drug Testing Laboratory” की रिपोर्ट भी इस अपराध की गंभीरता को दिखाती है। जमानत न देने का एक और कारण यह था कि इससे “other drug manufacturers” को भी नकली और घटिया दवाएं बनाने के लिए प्रोत्साहन मिल सकता है।

हाई कोर्ट का फैसला: जमानत याचिका रद्द
The Himachal Pradesh High Court rejected the bail plea of the owner of a fake drug manufacturing company in Baddi.

 कोर्ट ने अपराध की गंभीरता को समझा
The court noted that the large-scale seizure of substandard/fake medicines indicates the seriousness of the crime.

 जमानत पर रिहाई से गलत संदेश जा सकता था
The court warned that granting bail could send a wrong message to society, as it would suggest that criminals could walk free after committing such crimes.

इस मामले के अनुसार, अवेंद्र शुक्ला को ड्रग्स इंस्पेक्टर बद्दी ने “Drugs and Cosmetics Act, 1940” के तहत गिरफ्तार किया था। 6 अक्टूबर, 2023 को उसे गिरफ्तार किया गया था, जबकि उसकी कंपनी ने 27 जनवरी, 2023 को लाइसेंस समाप्त होने के बावजूद “manufactured fake drugs” का कारोबार जारी रखा था। जांच में पाया गया कि “M/s Glenmars Healthcare” से बरामद दवाएं नकली और घटिया गुणवत्ता की थीं, और आरोपी ने “fake firm” के तहत दवाओं का निर्माण किया।

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