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हिमाचल में खनन माफिया पर उद्योग विभाग ने कसा शिकंजा, 295 मामले दर्ज

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हिमाचल प्रदेश में खनन माफिया पर उद्योग विभाग ने कड़ा शिकंजा कसा है। विभाग ने अब तक 295 मामले दर्ज किए हैं, जिनमें अवैध खनन और नियमों का उल्लंघन शामिल है। यह कार्रवाई प्रदेश में खनन माफिया के खिलाफ सरकार की सख्त नीति का हिस्सा है, जिससे अवैध खनन पर अंकुश लगाने की कोशिश की जा रही है।

प्रदेश में अवैध खनन पर लगाम लगाने के लिए उद्योग विभाग का अभियान

प्रदेश में अवैध खनन (illegal mining) को रोकने के लिए उद्योग विभाग ने एक मजबूत अभियान (campaign) की शुरुआत की है। निदेशक उद्योग डॉ. यूनुस के अनुसार, प्रदेश सरकार और खनन विभाग (mining department) ने अवैध खनन की समस्या को गंभीरता से लिया है और इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाए हैं।

अभियान की सफलता: 295 अवैध खनन मामले दर्ज

विशेष अभियान (special campaign) के तहत 1 से 15 दिसंबर तक अवैध खनन को रोकने के प्रयासों में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की गई है। इस अभियान के दौरान कुल 295 अवैध खनन के मामले (illegal mining cases) दर्ज किए गए, जिनमें से सभी मामलों में कड़ी कार्रवाई की गई। विभाग ने दोषियों पर 12,60,400 रुपए का जुर्माना (fine) भी लगाया है।

प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता: पर्यावरण संतुलन और खनिज संसाधनों का संरक्षण

डॉ. यूनुस ने बताया कि प्रदेश सरकार और खनन विभाग अवैध खनन को रोकने के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध (committed) हैं। यह अभियान सरकार की पर्यावरण संरक्षण नीति (environment conservation policy) का अहम हिस्सा है, जिसका उद्देश्य खनिज संसाधनों का संरक्षण करते हुए पर्यावरण संतुलन (environmental balance) बनाए रखना है।

नागरिकों से अपील: अवैध खनन की सूचना देने का महत्व

डॉ. यूनुस ने नागरिकों से अपील की है कि वे अवैध खनन की गतिविधियों के बारे में खनन विभाग को तुरंत सूचित करें। उन्होंने कहा कि एक छोटी सी सूचना (information) भी प्रदेश के पर्यावरण और खनिज संपदा (mineral wealth) की सुरक्षा में अहम योगदान दे सकती है।

खनन विभाग की मुहिम: समाज के सहयोग से प्रभावी परिणाम

इस प्रकार के प्रयासों से ही प्रदेश में अवैध खनन (illegal mining) को रोकने में सफलता मिल सकती है, और खनन विभाग की यह मुहिम (campaign) समाज के सहयोग से और प्रभावी हो सकती है। यह अभियान राज्य सरकार की नीतियों (policies) को आगे बढ़ाने में सहायक साबित हो रहा है, जिससे खनिज संपदा का उचित उपयोग (proper utilization) और संरक्षण सुनिश्चित किया जा सकेगा।

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