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इन लाइसेंस की समस्याओं में फंसी एचपीएमसी: हिमाचल प्रदेश की स्थिति

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एचपीएमसी (हिमाचल प्रदेश मर्केंटाइल कॉर्पोरेशन) ने अपने पराला प्लांट में वाइन उत्पादन शुरू करने की योजना बनाई है, जिसकी मंजूरी कैबिनेट से मिल चुकी है। हालांकि, वाइन के लिए आवश्यक लाइसेंस लेने में एचपीएमसी अभी आबकारी कराधान विभाग की औपचारिकताओं में फंसा हुआ है। इन औपचारिकताओं की वजह से यह संभव है कि एचपीएमसी का यह सीजन निकल जाए। हालांकि, विभाग तेजी से इन औपचारिकताओं को पूरा करने में जुटा है, लेकिन इसमें समय लगेगा।

पराला में स्थित नए प्लांट में आधुनिक मशीनों की स्थापना की गई है, जिसे विश्व बैंक की परियोजना से वित्तीय सहायता मिली थी। एचपीएमसी इस प्लांट को चालू करने के लिए तैयार है, लेकिन पहले उसे राज्य कर और आबकारी विभाग से लाइसेंस प्राप्त करना जरूरी है। यदि यह वाइन उत्पादन प्रक्रिया शुरू होती है, तो एचपीएमसी के पास एक लाख लीटर वाइन बनाने की क्षमता होगी, जो पहले से ही जड़ोल प्लांट में तैयार की जा रही वाइन की मांग को पूरा करने में मदद करेगा। इसके अलावा, पराला प्लांट के माध्यम से एचपीएमसी की उत्पादन क्षमता दो लाख लीटर तक पहुंच जाएगी।

वहीं, बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि पराला प्लांट में तैयार होने वाले वाइन उत्पाद की गुणवत्ता बहुत बेहतर होगी, जो अन्य उत्पादों से श्रेष्ठ होगी। इसके साथ ही, एचपीएमसी की वाइन उत्पादन रणनीति को बढ़ावा देने के लिए व्यापक योजना बनाई गई है, जिसमें अन्य फल-उत्पादित कारोबार को भी बढ़ावा दिया जाएगा।

एचपीएमसी के पराला प्लांट में वाइन उत्पादन की शुरुआत से निगम को अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है। वर्तमान में, एचपीएमसी अपने जड़ोल स्थित प्लांट में एक लाख लीटर वाइन बना रहा है, जिसकी बाजार में अच्छी डिमांड है। इस डिमांड को देखते हुए, एचपीएमसी अपने दूसरे प्लांट पराला में भी वाइन उत्पादन शुरू करना चाहता है। पराला प्लांट की क्षमता भी एक लाख लीटर वाइन तैयार करने की होगी, जिससे कुल उत्पादन क्षमता दो लाख लीटर तक पहुंच जाएगी।

हालांकि, वाइन उत्पादन शुरू करने के लिए आबकारी विभाग से लाइसेंस प्राप्त करना जरूरी है, और विभाग से जुड़े कुछ औपचारिकताएं अभी पूरी नहीं हो पाई हैं। इन औपचारिकताओं को पूरा करने में समय लग रहा है, जिसके कारण एचपीएमसी का यह सीजन भी प्रभावित हो सकता है। इसके बावजूद, एचपीएमसी इस प्रक्रिया को तेज़ी से पूरा करने के लिए प्रयासरत है। इस समय, विभाग के अधिकारी इन औपचारिकताओं को पूरा करने में लगे हुए हैं, ताकि वाइन उत्पादन के नए रास्ते खुल सकें और एचपीएमसी को अपनी पूरी उत्पादन क्षमता का लाभ मिल सके।

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