फोरलेन परियोजना के चलते बुजुर्गों के बनाए घर, दुकानें, पशुशालाएं, श्मशानघाट, मंदिर, स्कूल, दफ्तर और अन्य संरचनाएं प्रभावित हुई हैं। इसी विकास कार्य की चपेट में मातृभूमि की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों के स्मारक भी आ गए हैं। नगरोटा बगवां के अंबाड़ी स्थान पर शहीद कैप्टन शैलेष रियालच की पुण्यस्मृति में बने स्मारक को भी अब विस्थापन का सामना करना पड़ रहा है।
स्मारक का पुनर्स्थापन
फोरलेन परियोजना के तहत, शहीद कैप्टन शैलेष रियालच का स्मारक अब मलां में पुनर्स्थापित किया जाएगा। यह स्थान शहीद के परिजनों द्वारा प्रदान की गई निजी भूमि पर होगा। प्राधिकरण ने इस कार्य के लिए 35 लाख रुपए की राशि निर्धारित की है, और धौलाधार बिल्डर्ज नामक कंपनी इसे ठेके पर पूरा करेगी। नए स्मारक स्थल पर शहीद की प्रतिमा के साथ एक ध्वज मंच और एक पुस्तकालय भी स्थापित किया जाएगा।
शहीद का बलिदान और स्मारक की स्थापना
कैप्टन शैलेष रियालच का जन्म 14 अक्तूबर 1975 को हुआ था। उन्होंने 24 नवंबर 1999 को अनंतनाग में आतंकवादियों से मुकाबला करते हुए अपने सहयोगियों की रक्षा करते हुए शहादत दी। उनकी स्मृति में उनके परिजनों ने अंबाड़ी में एक भव्य स्मारक का निर्माण किया था, जिसमें पुस्तकालय और कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना की गई थी। इसका उद्घाटन नौवीं कोर के लेफ्टिनेंट जनरल पीके रामपाल ने 14 अक्तूबर 2006 को किया था।
नई उम्मीद और भविष्य की योजना
शहीद के पिता कैप्टन बिक्रम और भाई रजत रियालच ने विश्वास जताया है कि स्मारक का पुनर्स्थापन क्षेत्र के निर्धन बच्चों को नि:शुल्क कंप्यूटर शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य को बनाए रखेगा। उन्होंने कहा कि नए स्थान पर स्मारक एक नई पहचान और आकर्षण के साथ शीघ्र ही तैयार होगा।