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लोगों को प्राकृतिक खेती सिखाएंगी कृषि सखियां

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नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग के तहत केंद्रीय सरकार ने सभी राज्यों को Krishi Sakhi नियुक्त करने की शर्त लागू की है, और हिमाचल प्रदेश को भी इस mission में शामिल किया गया है। इस योजना के तहत Krishi Sakhis को दो साल के लिए employment मिलेगा, लेकिन राज्य सरकार इस पहल में थोड़ी hesitation दिखा रही है, क्योंकि पहले भी ऐसे कई projects में नियुक्त किए गए लोग सरकार के लिए issues का कारण बने हैं।

प्रोजेक्ट डिटेल्स और फंडिंग

इस mission के तहत हिमाचल प्रदेश को 161 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त होगी, जिसमें 90% grant केंद्रीय सरकार द्वारा दी जाएगी, जबकि 10% का योगदान राज्य सरकार को करना होगा। इस योजना के अनुसार, Krishi Sakhis को training दिया जाएगा, और वे villages में महिलाओं को natural farming के बारे में जागरूक करेंगी। इस प्रोजेक्ट में प्रत्येक Krishi Sakhi की टीम में दो सदस्य होंगे, जो 125 farmers का एक cluster बनाएंगे, जिसमें महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।

ब्लॉक लेवल पर सहयोग और समर्थन

इसके अलावा, Krishi Sakhis को ब्लॉक स्तर पर ATMA project से भी collaboration मिलेगा। मिशन के तहत Agriculture Department को सालाना कार्य योजना और प्रगति रिपोर्ट central ministry को भेजनी होगी, और मंत्रालय इसका नियमित रूप से review करेगा। इसके अलावा, Panchayati Raj Department को भी योजना में शामिल किया जाएगा, और इसके लिए राज्य सरकार एक उच्च स्तरीय committee गठित करेगी।

लक्ष्य: कृषि और पर्यावरण संरक्षण

Natural farming के माध्यम से राज्य सरकार का उद्देश्य न केवल कृषि क्षेत्र में सुधार लाना है, बल्कि environmental conservation को भी बढ़ावा देना है। Krishi Sakhis किसानों को sowing, irrigation, fertilizer का उपयोग और फसल की रक्षा करने के natural methods के बारे में प्रशिक्षित करेंगी। इस training से किसान chemical fertilizers और pesticides पर निर्भरता कम कर सकेंगे, जिससे उनके खर्चों में कमी आएगी और उन्हें अधिक profit होगा।

प्राकृतिक खेती के फायदे और भविष्य

इसके साथ ही, natural farming से soil fertility भी बनी रहती है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए फायदेमंद होगा। Krishi Sakhis इस अभियान के तहत खेतों में प्रयोग के लिए organic products की जानकारी भी किसानों को देंगी, जिससे उनका जीवन स्तर बेहतर हो सके। इस पहल के साथ, राज्य सरकार किसानों को self-reliant बनाने की दिशा में एक कदम और बढ़ा रही है।

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