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टांडा अस्पताल की सराय पर खर्च किए गए करोड़ों, सुविधाएं नाममात्र की

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पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने हिमाचल सरकार पर कड़ा हमला करते हुए कहा कि एक तरफ सरकार अपने दो साल के कार्यकाल का जश्न मना रही है, जबकि दूसरी तरफ टांडा अस्पताल में रोगियों के दुखों में लगातार वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि टांडा अस्पताल प्रदेश के सबसे बदनाम अस्पतालों में से एक बन चुका है, जहां अव्यवस्था और रोगियों की परेशानियों की खबरें अक्सर आती रहती हैं। शांता कुमार ने बताया कि करीब आठ साल पहले, सांसद के रूप में उन्होंने अपनी सांसद निधि से और एक निगम से सीएसआर के तहत दो करोड़ 50 लाख रुपये टांडा अस्पताल के लिए सराय बनाने के लिए दिए थे, जिसमें 25 लाख रुपये विप्लव ठाकुर ने भी योगदान दिया था। हालांकि, आठ साल बाद भी सराय का पूरा इस्तेमाल शुरू नहीं हो पाया है।

इस दौरान विवेकानंद ट्रस्ट ने अन्य संस्थाओं के लिए करीब 22 करोड़ रुपये की सीएसआर राशि प्राप्त की, और उनके सभी कार्य पूरे हो गए। शांता कुमार ने बताया कि कोविड के दौरान उनका पूरा परिवार संक्रमित हुआ था और उन्होंने अपनी धर्मपत्नी को टांडा अस्पताल में पांच दिन तक भर्ती रखा, जहां उनकी मृत्यु हो गई। उन पांच दिनों की अस्पताल की व्यवस्था आज भी उन्हें याद है, और इस अनुभव को बताते हुए उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने टांडा अस्पताल की स्थिति पर और भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अस्पताल में सुधार की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं, जबकि मरीजों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आठ साल पहले जब उन्होंने अस्पताल के लिए मदद भेजी थी, तब उन्हें उम्मीद थी कि इससे अस्पताल में आवश्यक सुधार होंगे, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला। शांता कुमार ने यह भी कहा कि कोविड के दौरान उन्हें खुद अस्पताल की व्यवस्था का सामना करना पड़ा था और उस समय की स्थितियां आज भी उनकी यादों में ताजी हैं। अस्पताल की स्थिति को सुधारने के लिए उन्होंने सरकार से तत्काल कदम उठाने की अपील की और कहा कि रोगियों को बेहतर इलाज और सुविधा मिलनी चाहिए। उन्होंने अस्पताल की अव्यवस्था को लेकर सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए और इसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता जताई।

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