सुक्खू सरकार के ऐसे रहे दो साल: क्वांटिटी नहीं, क्वालिटी पर दिया जोर

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हिमाचल सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए क्वांटिटी के बजाय क्वालिटी पर ध्यान केंद्रित किया है। सुक्खू सरकार के कार्यकाल में छात्रों के हित में कई प्रभावशाली निर्णय लिए गए। प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए नई योजनाएं लागू की गईं। पहली से 12वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए स्कॉलरशिप स्कीम और एक्सीलेंस स्कूल जैसी योजनाओं ने छात्रों के उज्ज्वल भविष्य को साकार करने में योगदान दिया। साथ ही, क्लस्टर सिस्टम लागू कर स्कूल प्रबंधन को और प्रभावी बनाया गया।

छात्रों को वर्दी के लिए डीबीटी सिस्टम के तहत 600 रुपए सीधे खातों में दिए गए, जिससे वे अपनी वर्दी खुद खरीद सकें। सरकार ने ऐसे 1000 से अधिक स्कूल बंद कर दिए जिनमें छात्र संख्या शून्य के करीब थी। बाल पौष्टिक आहार योजना के तहत मिडल क्लास तक के बच्चों को संतुलित आहार में दूध, केला या अंडा शामिल किया गया। मेधा प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत विज्ञान और वाणिज्य के मेधावी छात्रों को लाभान्वित किया गया।

शिक्षा में खाली पदों को भरने की दिशा में भी कदम उठाए गए। जेबीटी के 1122 पद बैचवाइज भरे गए, जबकि टीजीटी और अन्य पदों पर भर्तियां जारी हैं। पहली बार सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम शुरू कर निजी और सरकारी स्कूलों के बीच की खाई कम करने का प्रयास किया गया। अध्यापकों की डिजिटल उपस्थिति सुनिश्चित की गई और सैकड़ों स्कूलों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का दर्जा दिया गया।

सरकार का लक्ष्य स्पष्ट है: शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और छात्रों का सुरक्षित भविष्य। जिन स्कूलों में छात्रों और स्टाफ की कमी थी, उन्हें बंद करने का फैसला भविष्य के बेहतर परिणामों को ध्यान में रखते हुए लिया गया। आने वाले समय में ये प्रयास प्रदेश में शिक्षा के स्तर को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।

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