केंद्र सरकार की वाइब्रेंट विलेज योजना के लिए हिमाचल प्रदेश को अभी तक कोई वित्तीय सहायता प्राप्त नहीं हुई है। राज्य सरकार ने इस संबंध में केंद्रीय मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा था और धनराशि उपलब्ध कराने की मांग की थी, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। प्रदेश को केंद्र से लगभग 300 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त होनी है, जो अभी तक लंबित है। इस स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने फिर से केंद्र को डिमांड भेजी है।
वाइब्रेंट विलेज योजना का उद्देश्य प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों के विकास के लिए धन उपलब्ध कराना है, ताकि वहां के बुनियादी ढांचे में सुधार किया जा सके। हालांकि, बिना धन के इन विकास कार्यों को आगे बढ़ाना मुश्किल हो रहा है। यह मुद्दा हाल ही में ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल की बैठक में भी उठाया गया था, जहां काउंसिल के सदस्यों ने कहा कि धन की कमी के कारण कई योजनाएं और कार्य रुके हुए हैं।
इसके बाद, माना जा रहा है कि जनजातीय विकास मंत्रालय को फिर से इस संबंध में पत्र लिखा जाएगा, क्योंकि पुरानी पेंडेंसी काफी बढ़ गई है। पेंडेंसी खत्म होने के बाद ही आगामी कार्यों की गति बढ़ाई जा सकती है। इस योजना के तहत, जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी ढांचों का विकास किया जाता है, और इसके लिए केंद्र सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत धन प्रदान करती है। वाइब्रेंट विलेज योजना विशेष रूप से सीमावर्ती गांवों को लक्षित करती है, खासकर चीन की सीमा से सटे लाहुल स्पीति के गांवों को, लेकिन इन गांवों के लिए निर्धारित धनराशि की अभी तक कोई सूचना नहीं आई है, जिससे विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
पहले इस योजना को बॉर्डर एरिया डिवेलपमेंट प्रोजेक्ट के नाम से जाना जाता था, लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर वाइब्रेंट विलेज योजना रखा गया। अब यह देखा जाएगा कि केंद्र को फिर से भेजे गए प्रस्ताव के बाद कितना समय लगता है और कब तक यह योजना सुचारू रूप से चल पाएगी।