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बिलासपुर मंगरोट: हाईवे पर भूमि का दावा, राजनकांत ने लगाई दुकानें

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बिलासपुर के मंगरोट गांव के निवासी राजनकांत ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर अपनी भूमि का दावा किया है और वहां दुकानें भी स्थापित की हैं। यह मामला भूमि अधिग्रहण और मुआवजे से संबंधित विवादों की ओर संकेत करता है, जो हिमाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में देखे जा रहे हैं।

हमीरपुर और बिलासपुर कस्बों में सरकारी भूमि और सड़कों पर अवैध अतिक्रमण एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। स्थानीय प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस जारी किए हैं और कार्रवाई की योजना बनाई है।

इसके अतिरिक्त, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में भी भूमि अधिग्रहण के बिना किसानों की जमीन पर सड़क निर्माण के मामले सामने आए हैं, जहां किसानों को मुआवजा नहीं मिला है। हाईकोर्ट ने ऐसे मामलों में राज्य शासन और राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग को विधिवत भूमि अधिग्रहण कर मुआवजा देने का आदेश दिया है।

इन घटनाओं से स्पष्ट होता है कि भूमि अधिग्रहण और मुआवजे के मुद्दे विभिन्न राज्यों में विवाद का कारण बन रहे हैं, जिन्हें सुलझाने के लिए उचित कानूनी प्रक्रियाओं और प्रशासनिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है।

Shimla-Dharamshala National Highway पर मंगरोट में हाईवे बना वन-वे

गुरुवार को शिमला-धर्मशाला नेशनल हाई-वे पर मंगरोट में राजनकांत शर्मा ने एक बार फिर मिट्टी, पत्थर और अन्य सामग्री फेंककर सड़क को वन-वे कर दिया। इस घटना के चलते करीब तीन घंटे तक नेशनल हाई-वे पर यातायात बाधित रहा। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस प्रशासन, राजस्व विभाग और लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारी मौके पर पहुंचे। उनकी दखल के बाद ही स्थिति शांत हुई।

राजस्व विभाग से निशानदेही का आश्वासन

घटना के बाद राजस्व विभाग ने राजनकांत शर्मा को 15 तारीख तक जमीन की निशानदेही (demarcation) करवाने का आश्वासन दिया। इसके बाद हाईवे से मिट्टी और पत्थर के ढेर हटा दिए गए। जानकारी के मुताबिक, राजनकांत शर्मा ने पहले भी अपनी जमीन को लेकर कई बार प्रशासन से संपर्क किया था। कुछ समय पहले राजस्व विभाग ने यहां निरीक्षण किया था, जिसमें यह जमीन राजनकांत की पाई गई थी।

Ownership न मिलने से बढ़ी परेशानी

राजनकांत शर्मा का कहना है कि हाई-वे के पास उनकी मां के नाम 15 बिस्वा जमीन है, जिसमें से 12 बिस्वा पर लोक निर्माण विभाग ने कब्जा कर रखा है। कई बार शिकायत करने के बावजूद विभाग ने इस मसले को गंभीरता से नहीं लिया।

Self-Occupation की चेतावनी

24 दिसंबर को राजनकांत ने प्रशासन को एक written notice दिया, जिसमें सात दिनों के भीतर जमीन का कब्जा देने की मांग की गई थी। चेतावनी दी गई थी कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह अपनी जमीन पर स्वयं कब्जा कर लेंगे। विभाग की ओर से कोई प्रतिक्रिया न मिलने के कारण उन्होंने मजबूर होकर हाई-वे पर कब्जा कर लिया।

रोजगार और जीविका का संकट

राजनकांत ने बताया कि अपनी जमीन पर कब्जा न मिलने के कारण वह कोई रोजगार शुरू नहीं कर पा रहे हैं। इससे उनका livelihood प्रभावित हो रहा है, और परिवार के पालन-पोषण में दिक्कतें आ रही हैं। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि इस मामले का स्थायी समाधान (permanent solution) किया जाए, ताकि वह अपनी जमीन पर अधिकार प्राप्त कर सकें।

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