हिमाचल प्रदेश में गद्दी कुत्ते को पहली बार पंजीकरण का दर्जा प्राप्त हुआ है, जिससे यह हिमालयी क्षेत्र की पहली पंजीकृत नस्ल बन गई है। यह कुत्ता अपनी ताकत, चपलता और कड़ी मेहनत के लिए जाना जाता है। पारंपरिक रूप से, गद्दी कुत्ते पहाड़ी क्षेत्रों में herding और guarding के लिए इस्तेमाल होते रहे हैं। अब यह कुत्ता आधिकारिक रूप से registered breed के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है।
गद्दी कुत्ते की नस्ल को पहचान दिलाने के लिए स्थानीय कुत्ता प्रेमियों और जानकारों की कड़ी मेहनत रही है। यह कुत्ता हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और किसानों व बकरियों के झुंडों के साथ security की जिम्मेदारी निभाता है।
यह कुत्ता न केवल अपनी मेहनत के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी समझदारी और अपने मालिकों के प्रति वफादारी भी अनूठी है। इस नस्ल के पंजीकरण से अब इसे और भी संरक्षण और पहचान मिल सकेगी, साथ ही भविष्य में इसके प्रचार और संरक्षण के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
हिमाचली गद्दी कुत्ते को मिली आधिकारिक मान्यता
हिमाचली गद्दी कुत्ते को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR-NBAGR) करनाल द्वारा एक स्वदेशी कुत्ते की नस्ल के रूप में आधिकारिक मान्यता मिल गई है। यह मान्यता कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और पशुपालन विभाग के अधिकारियों के कड़ी मेहनत और प्रयासों के बाद प्राप्त हुई। उन्होंने इस नस्ल की अनूठी स्थिति का समर्थन करने के लिए scientific evidence प्रदान किया, जिससे कुत्ते की नस्ल को पहचान मिली।
गद्दी कुत्ता: हिमालयी क्षेत्र की पहली पंजीकृत नस्ल
गद्दी कुत्ता अब भारत में पंजीकरण प्राप्त करने वाली चौथी स्वदेशी कुत्ते की नस्ल बन गया है और हिमालयी क्षेत्र की पहली ऐसी नस्ल है। यह नस्ल गद्दी जनजाति के नाम पर रखी गई है, जो पारंपरिक रूप से herding और guarding के लिए जानी जाती है। गद्दी कुत्ते का काम केवल पशुओं की रक्षा करना नहीं, बल्कि वे मानवों के साथ एक अनोखा bond भी स्थापित करते हैं।
कृषि विश्वविद्यालय द्वारा गद्दी कुत्तों के लिए संरक्षण इकाई स्थापित
कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नवीन कुमार ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल करने में वैज्ञानिकों की टीम और डॉ. जीसी नेगी पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. रविंद्र कुमार की मेहनत की सराहना की। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने गद्दी कुत्तों के लिए एक external conservation unit स्थापित की है, जो पशुपालन विभाग और हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद के सहयोग से काम कर रही है। यह इकाई स्थानीय चरवाहों और पालतू पशु प्रेमियों को गद्दी कुत्ते के पिल्ले प्रदान करती है।