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बधाई हो: हेल्थ सुपरवाइजर का बेटा बना एसडीएम – सफलता की अनूठी कहानी

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यह एक प्रेरणादायक और गर्व करने वाली खबर है! अक्सर ऐसी कहानियाँ समाज में एक बड़ा संदेश देती हैं कि मेहनत, लगन और समर्पण से कोई भी सफलता प्राप्त की जा सकती है। हेल्थ सुपरवाइजर का बेटा एसडीएम बनना इस बात का प्रतीक है कि यदि सही दिशा में प्रयास किए जाएँ, तो किसी भी पृष्ठभूमि से आने वाला व्यक्ति ऊँचाइयों को छू सकता है।

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माता-पिता और शिक्षकों के सहयोग से मिली सफलता

कड़ी मेहनत और माता-पिता के आशीर्वाद से मिले मुकाम को पाकर अंकुश कुमार आज बेहद खुश हैं। अंकुश की मानें तो जिस मुकाम तक वह आज पहुँचे हैं, उसमें उनकी माता, पिता और बड़ी बहन स्वाति का हमेशा सहयोग और मार्गदर्शन रहा। उनके शिक्षकों का भी काफी सहयोग रहा। जी हाँ, जिला कुल्लू के निरमंड गाँव से संबंध रखने वाले अंकुश कुमार का चयन एसडीएम के लिए हुआ है। Divya Himachal से खास बातचीत में अंकुश ने बताया कि किस तरह उन्होंने इस मुकाम तक पहुँचने के लिए मेहनत की और उनके परिवार ने हर कदम पर साथ दिया।

बचपन में नहीं था Officer बनने का खास सपना

अंकुश, जिन्हें प्यार से “अब्बू” भी कहा जाता है, का कहना है कि वह प्रशासनिक क्षेत्र में जाना चाहते थे, लेकिन बचपन में ऐसा कभी खास नहीं सोचा था कि एक दिन अधिकारी बनेंगे। लेकिन जैसा कहा जाता है, “What is written in destiny will surely come true,” कुछ ऐसा ही अंकुश के साथ भी हुआ। उन्होंने 5 से 7 घंटे की पढ़ाई के साथ-साथ एक निजी कंपनी में काम भी किया। अंकुश बताते हैं कि पहले प्रयास में वह सफल नहीं हो सके, लेकिन दूसरे प्रयास में H.A.S Qualified कर यह मुकाम हासिल कर लिया।

शिक्षा और शुरुआती करियर

अंकुश का कामयाबी का सफर नवोदय स्कूल, कुल्लू से शुरू हुआ, जहाँ से उन्होंने दसवीं की पढ़ाई पूरी की। बारहवीं की पढ़ाई मंडी नवोदय स्कूल से करने के बाद उन्होंने NIT Hamirpur से कंप्यूटर साइंस में बी.टेक किया। इसके बाद उन्होंने H.A.S Exam Preparation शुरू कर दी। इस दौरान उन्होंने कुल्लू में एक निजी कंपनी में भी काम किया।

बजौरा में रहता है परिवार

हालाँकि अंकुश का परिवार मूल रूप से निरमंड का रहने वाला है, लेकिन अब वे बजौरा, कुल्लू में रहते हैं। उनके पिता अशोक कुमार सरकारी अस्पताल कुल्लू में हेल्थ सुपरवाइजर हैं, जबकि माता कुमुद लता गृहणी हैं। उनकी बड़ी बहन स्वाति चंडीगढ़ में एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं। अंकुश का मानना है कि उनकी बहन ने भी हर कदम पर उन्हें प्रेरित और गाइड किया।

पहला प्रयास असफल, दूसरा प्रयास सफल

अंकुश बताते हैं कि जब उन्होंने पहली बार परीक्षा दी थी, तो उस समय वे सफल नहीं हो सके। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और दूसरे प्रयास में कड़ी मेहनत के साथ परीक्षा दी। Finally, उन्होंने H.A.S परीक्षा पास कर ली। अंकुश मानते हैं कि उनकी सफलता का श्रेय उनकी perseverance, hard work और परिवार के सहयोग को जाता है।

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