पेट कोक ईंधन उपयोग करने वाले उद्योगों को बड़ी राहत

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पेट कोक का इस्तेमाल करने वाले उद्योगों को राहत देने के लिए, उन्हें पेट कोक के बजाय स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है. पेट कोक को हज़ारद्रीय अपशिष्ट माना जाता है और इसका दहन करने से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. पेट कोक ईंधन का उपयोग करने वाले उद्योगों को सरकार से राहत मिली है। नए नियमों के तहत उद्योगों को संचालन में छूट दी गई है, जिससे उत्पादन और व्यापार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

हिमाचल में पेट कोक ईंधन उपयोग की मोहलत बढ़ी

प्रदेश सरकार ने Himachal Pradesh में pet coke का ईंधन के रूप में उपयोग कर रहे उद्योगों को six months की और मोहलत दे दी है। अब सभी मौजूदा industrial units 7.5% sulfur content वाले pet coke का उपयोग 30 June 2025 तक कर सकेंगी।

जून के बाद स्वच्छ ईंधन अपनाना होगा

हालांकि, this deadline के बाद औद्योगिक इकाइयों को pet coke का उपयोग completely stop करना होगा और fuel policy में उल्लिखित clean fuel को अपनाना अनिवार्य होगा।

पर्यावरण संरक्षण के लिए बनाई गई थी ईंधन नीति

पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए Himachal Pradesh government ने 2022 में fuel policy लागू की थी। इस नीति के तहत pet coke usage को 1-3 years में समाप्त करने की योजना बनाई गई थी।

पहले दिसंबर 2024 की थी समय सीमा

सरकार ने पहले December 2024 तक का समय दिया था, लेकिन अब इसे June 2025 तक बढ़ा दिया गया है ताकि industries को स्वच्छ ईंधन पर switch करने के लिए और समय मिल सके।

पर्यावरण विभाग ने जारी की अधिसूचना

औद्योगिक इकाइयों में pet coke usage को लेकर Environment, Science & Technology Department ने एक official notification जारी की है।

प्रदेश में 500 से ज्यादा उद्योग करते हैं पेट कोक का उपयोग

BBN (Baddi-Barotiwala-Nalagarh) सहित प्रदेश भर में करीब 500+ industries के boilers & furnaces में HSD (High-Speed Diesel) furnace oil का उपयोग होता है। वहीं, cement, paper mills, dyeing units, bulk drug manufacturers, plastic & steel units जैसे उद्योग petroleum coke का उपयोग करते हैं।

2014 में केंद्रीय मंत्रालय से मिली थी मंजूरी

2014 में Ministry of Environment, Forest & Climate Change (MoEFCC) ने cement factories में pet coke के उपयोग की approval दी थी।

हैवी मेटल्स की मौजूदगी से बढ़ता है प्रदूषण

हालांकि, heavy metals की मौजूदगी के कारण इसे भारत में hazardous waste माना गया। Pet coke combustion से Sulfur Dioxide (SO₂) की उच्च मात्रा निकलती है, जो major pollution source बनती है।

2022-23 में लाई गई स्वच्छ ईंधन नीति

प्रदेश सरकार ने 2022-23 में clean fuel policy लागू की थी, जिसके तहत pet coke fuel usage को gradually phase out करने का निर्णय लिया गया था।

अब छह महीने की और मिली राहत

अब state government ने industries को six-month extension देकर clean fuel transition के लिए अतिरिक्त समय प्रदान किया है।

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