हिमाचल प्रदेश में आउटसोर्स पर नर्सेज के पद भरने से संबंधित एक महत्वपूर्ण मामले में, अदालत ने सरकार का आवेदन खारिज कर दिया। इस मामले में सरकार ने अदालत से आग्रह किया था कि नर्सेज के पदों पर भर्ती के लिए जारी स्थगन आदेश को वापस लिया जाए, लेकिन अदालत ने इस आवेदन को अस्वीकार कर दिया।
कोर्ट ने यह निर्णय सुनाया कि आउटसोर्स पर नर्सेज की नियुक्ति के मामले में पहले से जारी स्थगन आदेश को वापस लेने के लिए कोई उचित आधार नहीं था। इसके बाद, सरकार के इस प्रयास को असफल मानते हुए, यह निर्णय लिया गया कि आगे की प्रक्रिया तभी आगे बढ़ेगी जब अदालत इस मामले पर पुनः विचार करेगी।
प्रदेश हाई कोर्ट ने स्थगन आदेश को वापस लेने से इनकार किया
The Himachal Pradesh High Court ने आउटसोर्स पर नर्सेज के पद भरने से जुड़े मामले में सरकार के आवेदन को खारिज कर दिया है। Chief Justice Gurmeet Singh Sandhawalia and Justice Satyen Vaidya की bench ने स्थगन आदेश पर रोक लगाने की मांग को अस्वीकार किया। The court ने कहा कि नर्सों की भर्ती के लिए बनाए गए भर्ती एवं पदोन्नति नियमों की पूरी तरह से अनदेखी की जा रही है और उन्हें आउटसोर्स के आधार पर नियुक्त किया जा रहा है, जो विवेकपूर्ण नहीं है।
भर्ती नियमों का उल्लंघन
The court ने यह भी स्पष्ट किया कि नर्सों की नियुक्ति में भर्ती नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। The government ने जो 36 contractors के नाम भर्ती के लिए अनुमोदित किए थे, उनका इस काम से कोई अनुभव नहीं था। Several contractors के पास कभी भी भर्ती के मामले नहीं थे और कुछ के मालिक खुद अशिक्षित या अर्ध-साक्षर थे, फिर भी उन्हें जिम्मेदार पदों पर नियुक्त किया गया।
कानूनी व्यवस्था और स्टॉप गैप भर्ती
The High Court ने यह भी कहा कि stop-gap व्यवस्था के तहत की जा रही भर्तियां भी पूरी तरह से कानून के अनुसार नहीं हो सकती हैं। The court ने इस बात को साफ किया कि recruitment और promotion rules के तहत भर्तियां ही सही तरीके से की जानी चाहिए। राज्य सरकार ने इस मामले में 28 नर्स पदों को भरने का निर्णय लिया था।
भर्ती प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता
The court ने कहा कि यह पूरी तरह स्पष्ट है कि नर्सों के पदों को उचित तरीके से और कानून के अनुसार भरने की जरूरत है। यह मामला high court द्वारा गहराई से जांचे जाने की आवश्यकता का संकेत है।