बेटियों को Martial Arts की ट्रेनिंग अनिवार्य, स्कूलों में विषय के रूप में लाने की जरूरत

Martial Arts

स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने कहा है कि सभी बेटियों को मार्शल आट्र्स की ट्रेनिंग हासिल करनी चाहिए, ताकि मुश्किल के समय वे अपनी सुरक्षा खुद कर सकें। उन्होंने कहा कि स्कूलों में भी इस विषय को अनिवार्य बनाए जाने की जरूरत है।

आज के दौर में बेटियों की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के लिए Martial Arts का महत्व बढ़ता जा रहा है। न केवल यह आत्मरक्षा का एक प्रभावी माध्यम है, बल्कि यह आत्मविश्वास और मानसिक शक्ति को भी बढ़ावा देता है। विशेषज्ञों और शिक्षाविदों का मानना है कि Martial Arts Training को स्कूलों के पाठ्यक्रम में विषय के रूप में शामिल किया जाना चाहिए।

Martial Arts का महत्व

  • Self-Defense: बेटियों को आत्मरक्षा की कला सिखाने से वे किसी भी अनचाही परिस्थिति में खुद को सुरक्षित रख सकती हैं।
  • Confidence Building: Martial Arts से लड़कियों का आत्मविश्वास बढ़ता है, जिससे वे हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार होती हैं।
  • Physical Fitness: यह न केवल आत्मरक्षा का माध्यम है, बल्कि यह Fitness और Discipline भी सिखाता है।

Stress Management: Martial Arts मानसिक तनाव को कम करने में सहायक है और लड़कियों को मानसिक रूप से मजबूत बनाता है।

स्कूलों में Martial Arts अनिवार्य क्यों?

Gender Equality: यह लड़कियों और लड़कों दोनों के लिए समान अवसर प्रदान करेगा।

Safety First: मौजूदा दौर में, स्कूलों और कॉलेजों में Safety और Security सबसे बड़ा मुद्दा है। Martial Arts उन्हें मजबूत बनाएगा।

Skill Development: यह केवल एक खेल नहीं, बल्कि एक ऐसी स्किल है, जो जीवनभर काम आती है।

Government Support: सरकार को इसे प्रमोट करने के लिए स्कूलों में Martial Arts Trainers की व्यवस्था करनी चाहिए।

उदाहरण और पहल

कुछ राज्यों में Martial Arts Training को प्राथमिक स्तर पर शुरू किया गया है, जैसे कराटे, ताइक्वांडो और जूडो। इससे लड़कियों में न केवल आत्मरक्षा का गुण विकसित हुआ है, बल्कि उनकी Physical and Mental Health में भी सुधार हुआ है।

Conclusion

बेटियों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना आज की प्राथमिकता है। स्कूलों में Martial Arts को विषय के रूप में शामिल करके हम उनके जीवन में एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं। यह कदम न केवल उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि उनके आत्मविश्वास और व्यक्तित्व को भी निखारेगा। “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” के साथ-साथ “बेटी सशक्त बनाओ” का नारा भी अब जरूरी है।

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