राजभवन की सख्ती: नौतोड़ आबंटन पर पहले लाभार्थियों की सूची मांगी

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राजभवन ने नौतोड़ आबंटन के लिए मंजूरी से पहले लाभार्थियों की सूची की मांग की। राज्यपाल ने स्पष्ट किया कि फर्जी आबंटन की कोई संभावना नहीं होगी और निर्णय संवैधानिक प्रक्रिया के तहत ही लिया जाएगा। राज्य सरकार द्वारा कैबिनेट में पारित प्रस्ताव पर अभी मंजूरी लंबित है।राजस्व मंत्री को राज्यपाल का कड़ा जवाब
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी के बयान के अगले ही दिन राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने नौतोड़ मामले पर जवाब दिया। मंत्री द्वारा सड़कों पर उतरने की चेतावनी पर प्रतिक्रिया देते हुए गवर्नर ने कहा कि राजभवन ने इस मामले में clarifications मांगे हैं। जब तक लाभार्थियों की proper list उपलब्ध नहीं होती, मंजूरी नहीं दी जाएगी। गवर्नर ने स्पष्ट किया कि वह नौतोड़ के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन fake allocations को रोकने के लिए यह कदम जरूरी है।

लाभार्थियों की सूची पहले जरूरी

गवर्नर ने कहा कि लाभार्थियों की सूची उपलब्ध करवाना mandatory है। उन्होंने बताया कि मंत्री खुद स्वीकार कर चुके हैं कि पिछले तीन बार एफसीए सस्पेंड करने के बावजूद केवल एक-एक व्यक्ति को ही भूमि आबंटित की गई। ऐसे में राजभवन इस बार पूरी प्रक्रिया को transparent रखना चाहता है। उन्होंने कहा कि यह मामला किसी भी पार्टी के election promises को पूरा करने के लिए नहीं, बल्कि नियमों के अनुसार हल होगा।

मंत्री की चेतावनी और गवर्नर की प्रतिक्रिया

राजस्व मंत्री ने गुरुवार को बयान दिया था कि यदि किन्नौर जिले में नौतोड़ आबंटन पर जल्द फैसला नहीं हुआ, तो सरकार को मजबूरी में लोगों के साथ protest करना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि कैबिनेट से पारित प्रस्ताव राजभवन को भेजा गया है ताकि संविधान के अनुच्छेद-5 के तहत Forest Conservation Act सस्पेंड किया जा सके। राज्यपाल ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि राजभवन ने ही मंत्री को शपथ दिलाई है और वह उनका सम्मान करते हैं, बेशक मंत्री उनका सम्मान न करें।

20,000 से अधिक आवेदन लंबित

गौरतलब है कि प्रदेश के tribal areas में नौतोड़ भूमि आबंटन के लिए करीब 20,000 आवेदन लंबित हैं। सरकार चाहती है कि जल्द से जल्द इस मामले में approval मिले ताकि लंबित आवेदनों पर कार्यवाही हो सके।

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