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छोटी परियोजनाओं के लिए नहीं मिलेगी इंडस्ट्रियल सब्सिडी का लाभ

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Industrial Subsidy: छोटी परियोजनाओं को इंडस्ट्रियल सबसिडी का फायदा नहीं राज्य में लघु ऊर्जा उत्पादकों को सबसिडी का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। पिछले साल सीएम के सामने लघु ऊर्जा उत्पादकों ने अपना यह मसला उठाया है, जिसके बाद अब नया टैरिफ तैयार हो रहा है। 10 फरवरी को इसमें जनसुनवाई होनी है।

लघु ऊर्जा उत्पादकों को सब्सिडी का पूरा लाभ नहीं

हिमाचल प्रदेश में छोटे ऊर्जा उत्पादकों को इंडस्ट्रियल सब्सिडी का full benefit नहीं मिल रहा है। पिछले साल लघु ऊर्जा उत्पादकों ने सीएम के समक्ष यह मुद्दा उठाया था, जिसके बाद अब नया टैरिफ तैयार किया जा रहा है। 10 फरवरी को होने वाली public hearing में एक बार फिर से यह मुद्दा उठाया जाएगा।

केंद्र से मिल रही सब्सिडी का फायदा भी नहीं

केंद्र सरकार द्वारा छोटे उद्यमियों को दी जाने वाली सब्सिडी का लाभ हिमाचल के ऊर्जा उत्पादकों को नहीं मिल पा रहा है। अगर सरकार इसमें सुधार करती है, तो यहां पर investment बढ़ सकता है। फिलहाल, बिजली के क्षेत्र में निजी निवेशकों की interest घट गई है, क्योंकि विद्युत नियामक आयोग के मौजूदा नियम इनके पक्ष में नहीं हैं।

सब्सिडी का लाभ डिस्कॉम को, उत्पादक नाराज

पहले केंद्र सरकार की 5 करोड़ रुपए तक की सब्सिडी का 25% हिस्सा लघु ऊर्जा उत्पादकों को मिलता था और 75% लाभ डिस्कॉम को दिया जाता था। बाद में नियम बदलकर 100% subsidy का लाभ केवल डिस्कॉम को दिया जाने लगा, जिससे स्वतंत्र ऊर्जा उत्पादकों में नाराजगी बढ़ गई है।

निवेश घटने से 840 प्रोजेक्ट पाइपलाइन में अटके

अब तक हिमाचल में 124 लघु ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित हो चुकी हैं, लेकिन 840 परियोजनाएं pipeline में फंसी हुई हैं। निवेशकों का कहना है कि वित्तीय लाभ न मिलने की वजह से वे प्रोजेक्ट शुरू नहीं कर रहे।

रॉयल्टी के नियमों में राहत की मांग

ऊर्जा उत्पादकों को सरकार को मुफ्त बिजली के रूप में 12%, 18% और 30% तक की royalty देनी होती है। हालांकि, नियामक आयोग टैरिफ में केवल 12% रॉयल्टी को ही काउंट कर रहा है, जिससे उत्पादकों को financial loss हो रहा है। उत्पादकों ने इस मुद्दे को फिर से उठाया है और अब देखना यह होगा कि क्या सरकार टैरिफ जारी करने से पहले इनको राहत दिलाने के लिए कोई कदम उठाती है।

निवेशकों के रुझान में गिरावट

बिजली परियोजनाओं में सरकार ने निजी क्षेत्र को अवसर देने का निर्णय लिया है, लेकिन मौजूदा स्थिति में independent power producers (IPPs) निवेश करने में रुचि नहीं दिखा रहे। सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह इस मुद्दे पर कोई ठोस नीति बनाएगी ताकि हिमाचल में ऊर्जा क्षेत्र में private investments बढ़ सके।

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