भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार shanta-kumar ने पार्टी में आंतरिक हालात पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि नए नेताओं का सम्मान जरूरी है, लेकिन वरिष्ठ नेताओं का अपमान नहीं होना चाहिए।
भाजपा का स्वर्ण युग, लेकिन हिमाचल में चिंताजनक हालात
पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार shanta-kumar ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) का यह स्वर्ण युग है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लगातार तीसरी बार पीएम बनना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। 500 वर्षों के बाद राम मंदिर निर्माण, कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति और विकसित भारत का सपना पूरा होना देश के लिए गर्व की बात है। लेकिन, जहां पूरे भारत में भाजपा एक महाशक्ति बनकर उभरी है, वहीं हिमाचल प्रदेश में पार्टी के हालात चिंताजनक दिख रहे हैं।
नए नेताओं के साथ पुराने नेताओं का सम्मान भी जरूरी
शांता कुमार shanta-kumarने कहा कि भाजपा bjp एक परिवार की तरह होती है। नए नेताओं का स्वागत जरूरी है, लेकिन पुराने नेताओं के सम्मान में कमी नहीं आनी चाहिए। हिमाचल भाजपा bjp के सभी नेताओं को आपसी मतभेद भुलाकर मिलकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने आग्रह किया कि जिन नेताओं ने पार्टी के सम्मान के लिए कठिन परिस्थितियों में संघर्ष किया, उनका भी ध्यान रखा जाए।
हिमाचल भाजपा bjp में क्यों बढ़ रहा है असंतोष?
प्रदेश में भाजपा bjp के अंदर गुटबाजी और असंतोष बढ़ता जा रहा है। पार्टी के अनुशासन की छवि पर सवाल खड़े हो रहे हैं। केंद्रीय नेतृत्व की सख्ती के बावजूद पार्टी कई धड़ों में बंटती नजर आ रही है। पिछले कुछ महीनों में भाजपा bjp में नए नेता शामिल हुए, लेकिन इससे संगठनात्मक शक्ति बढ़ने की बजाय आंतरिक समन्वय कमजोर हुआ।
पुराने नेताओं की अनदेखी से नाराज शांता कुमार
शांता कुमार shanta-kumar समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी में पुराने नेताओं की अनदेखी पर नाराजगी जताई है। हिमाचल में भाजपा bjp का प्रदर्शन कमजोर होने का मुख्य कारण आपसी गुटबाजी को बताया जा रहा है। संगठनात्मक चुनावों के दौरान भी करीब एक दर्जन विधानसभा क्षेत्रों में तनावपूर्ण स्थिति बनी थी।
प्रदेश में बढ़ती गुटबाजी और असंतोष
देहरा में पूर्व मंत्री रमेश धवाला को पहले ज्वालामुखी से देहरा भेजा गया और फिर वहां भी राजनीतिक रूप से निष्क्रिय कर दिया गया, जिससे गुटबाजी बढ़ी।
कांग्रेस से आए नेताओं और भाजपा bjp के पुराने कार्यकर्ताओं के बीच तनाव बढ़ा, जिससे पार्टी में दो गुट बन गए।
कांगड़ा, ऊना, लाहौल-स्पीति और हमीरपुर में भी भाजपा bjp कार्यकर्ताओं में असंतोष गहरा रहा है।
विधानसभा चुनाव में हार का कारण बना असंतोष
हिमाचल में हुए पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा bjp की हार की एक बड़ी वजह आंतरिक असंतोष और गुटबाजी थी।
पार्टी के अपने ही बागियों ने चुनाव में बड़ा नुकसान पहुंचाया।
भाजपा bjp को सत्ता में आने से रोकने के लिए टिकट न मिलने से नाराज नेताओं ने निर्दलीय चुनाव लड़ा, जिससे भाजपा को सिर्फ 0.9% वोटों की कमी के चलते सत्ता गंवानी पड़ी।
खासकर कांगड़ा जिले के आधा दर्जन विधानसभा क्षेत्रों में बागियों ने पार्टी का खेल बिगाड़ा।
भविष्य की राह – क्या सिर्फ मोदी मैजिक से जीत मिलेगी?
अब सवाल यह है कि हिमाचल भाजपा bjp मोदी मैजिक के सहारे कब तक अपनी नैया पार लगाएगी?
पार्टी को आंतरिक समन्वय मजबूत करना होगा।
पुराने और नए नेताओं में संतुलन बनाना होगा।
कार्यकर्ताओं का भरोसा जीतकर भविष्य की रणनीति बनानी होगी।
यदि इन समस्याओं का समाधान नहीं निकला, तो भाजपा bjp के लिए आने वाले चुनावों में मुश्किलें बढ़ सकती हैं।