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हिमाचल: रिश्वत लेते पकड़ा गया BDO, 1.5 लाख की राशि जारी करने के बदले मांगे थे पैसे

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विजिलेंस धर्मशाला की टीम ने दस हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए परागपुर के खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) को दस हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। ग्राम पंचायत कड़ोआ की प्रधान की शिकायत पर यह कार्रवाई की गई है।

हिमाचल प्रदेश में एक BDO को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। उसने 1.5 लाख रुपये की राशि जारी करने के बदले घूस मांगी थी।

रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार

विजिलेंस धर्मशाला की टीम ने परागपुर के खंड विकास अधिकारी (BDO) को 10,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। यह कार्रवाई ग्राम पंचायत कड़ोआ की प्रधान की शिकायत पर की गई। बताया जा रहा है कि BDO वीरेंद्र कुमार कौशल पंचायत के कार्य के लिए उपायुक्त द्वारा जारी की गई 1.5 लाख रुपये की राशि को रिलीज करने के बदले 10,000 रुपये की रिश्वत मांग रहे थे।

शिकायत पर विजिलेंस ने बिछाया जाल

कड़ोआ पंचायत की प्रधान रीना देवी ने इस भ्रष्टाचार की शिकायत North Range Vigilance Office, Dharamshala में दर्ज करवाई। शिकायत के आधार पर विजिलेंस की टीम ने सोमवार को एक ट्रैप ऑपरेशन (Trap Operation) चलाया और BDO वीरेंद्र कौशल को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया।

एसपी विजिलेंस ने दी पुष्टि

इस मामले की पुष्टि करते हुए एसपी विजिलेंस नॉर्थ रेंज धर्मशाला बलवीर ठाकुर ने कहा कि शिकायत के आधार पर कार्रवाई की गई है। उन्होंने बताया कि Anti-Corruption Law के तहत बीडीओ के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है और आगे की जांच जारी है।

संपत्ति की भी हो सकती है जांच

सूत्रों के अनुसार, विजिलेंस की टीम आरोपी BDO की प्रॉपर्टी (Property Investigation) की भी जांच कर सकती है। अगर अवैध संपत्ति से जुड़े सबूत मिलते हैं, तो उनके खिलाफ और भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

Retirement से पहले रिश्वतखोरी का दाग

गौरतलब है कि BDO वीरेंद्र कौशल दो महीने बाद यानी अप्रैल 2025 में रिटायर होने वाले थे। Years of service के अंतिम दौर में उन्होंने रिश्वतखोरी से खुद को दागदार कर लिया। Few thousand rupees के लालच में उनकी पूरी छवि खराब हो गई, जिससे लोग हैरान हैं।

पहले भी विवादों में रह चुके हैं BDO परागपुर

यह पहली बार नहीं है जब वीरेंद्र कौशल विवादों में आए हैं। फरवरी 2023 से फरवरी 2024 तक भी वह परागपुर में BDO के पद पर थे। उस दौरान जसवां-परागपुर के विधायक बिक्रम सिंह ठाकुर ने उन पर Political Bias का आरोप लगाते हुए कहा था कि वह कांग्रेस के एजेंट की तरह काम कर रहे हैं। इस विवाद के कारण उन्हें वहां से हटा दिया गया था। जनवरी 2025 में उन्होंने दोबारा परागपुर में पदभार संभाला, लेकिन अब रिश्वत के आरोप में उनकी गिरफ्तारी ने उन्हें फिर से सुर्खियों में ला दिया है।

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