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हिमाचल सरकार खुद के संसाधनों से दूर करेगी वित्तीय संकट, नए उपायों पर जोर

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हिमाचल प्रदेश सरकार वित्तीय संकट को दूर करने के लिए अपने संसाधनों पर निर्भर रहेगी। नए राजस्व स्रोत विकसित करने और आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए सरकार ने कई अहम फैसले लिए हैं।

बजट 2025 में दिखेगी नई राजस्व योजनाओं की झलक

हिमाचल प्रदेश सरकार वित्तीय संकट से निपटने के लिए आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम कर रही है। CM Sukhvinder Singh Sukhu के नेतृत्व में सरकार ने राजस्व बढ़ाने के लिए सख्त फैसले लिए हैं, जो आगामी बजट 2025 में दिखाई देंगे।

नए सेस से मिलेगा 150 करोड़ का राजस्व

सरकार ने मिनरल सेस और उद्योगों के लिए बिजली सेस लागू किया है, जिससे 150 करोड़ रुपये सालाना मिलने की उम्मीद है।
शराब पर पहले से लागू सेस से 110 करोड़ रुपये अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो रहा है।
हालांकि, बिजली कंपनियों पर वाटर सेस लागू करने की योजना सिरे नहीं चढ़ पाई, जिससे सरकार को सालाना 2000 करोड़ रुपये के संभावित राजस्व का नुकसान हुआ।

सरकार बैंकों में बिना खर्च पैसा खोजने में जुटी

वित्त विभाग ने बैंकों में पड़े बिना उपयोग किए धन को खंगालने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सभी सरकारी विभागों से fund details मांगी गई हैं, जिससे अतिरिक्त राजस्व प्राप्त कर विकास योजनाओं में निवेश किया जाएगा।

बिजली सब्सिडी में कटौती की तैयारी

सरकार ने HRTC सब्सिडी को कम करने पर विचार शुरू किया है, जिससे 60 करोड़ रुपये की मासिक बचत होगी।
बिजली सब्सिडी में भी कटौती की योजना बनाई जा रही है ताकि सरकारी खर्च कम किया जा सके।
सरकार का फोकस solar power generation को बढ़ाकर अधिक राजस्व उत्पन्न करने पर है।

नई योजनाओं से बढ़ेगा राज्य का राजस्व

शराब ठेकों की नीलामी से सरकार को अनुमानित अतिरिक्त राजस्व मिलने की उम्मीद है।
शराब कारोबार से अधिक आय के लिए नई रणनीतियां लागू की जा सकती हैं।
आगामी बजट 2025 में राजस्व वृद्धि के नए उपायों को शामिल किया जाएगा।

हिमाचल की आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम

सरकार की रणनीति से भले ही कुछ समय के लिए कठिनाइयां आएं, लेकिन दीर्घकालिक रूप से यह कदम हिमाचल प्रदेश को केंद्र सरकार की अनुदान राशि पर निर्भरता से मुक्त करेगा और राज्य को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाएगा।

यदि ये नीतियां सफल रहीं, तो हिमाचल प्रदेश जल्द ही वित्तीय संकट से उबरकर आर्थिक रूप से सशक्त राज्य बन सकता है।

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