हिमाचल: ग्लेशियर से बनी वासुकी-सांगला झील का दायरा बढ़ा, बढ़ा बाढ़ का खतरा

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ग्लेशियर झील वासुकी 1.65 किमी की परिधि में है। इसकी अधिकतम गहराई 36.91 मीटर और औसत गहराई 14.48 मीटर है। 2017 से 2024 के बीच ग्लेशियर झील वासुकी का क्षेत्रफल 3.02 हेक्टयेर बढ़ चुका है। 2017 में वासुकी का क्षेत्रफल 10.36 हेक्टेयर था, जो कि 2024 में 13.38 हेक्टयेर हो गया।

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में ग्लेशियर से बनी वासुकी-सांगला झील का दायरा लगातार बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार, ग्लेशियर पिघलने से झील का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ और भूस्खलन का खतरा बढ़ सकता है।

हिमाचल में ग्लेशियर से बनी झीलों का विस्तार जारी

हिमाचल प्रदेश में ग्लेशियर से बनी झीलों का विस्तार लगातार जारी है। पिछले आठ वर्षों में वासुकी और सांगला झील के क्षेत्रफल में major changes देखने को मिले हैं। हाल ही में हुए बैथीमीटरी सर्वे (Bathymetric Survey) और सामरिक महत्त्व की सड़कों पर भू-स्खलन के जोखिम का आकलन करने वाली रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।

वासुकी झील: लगातार बढ़ रहा क्षेत्रफल

ग्लेशियर झील वासुकी (Vasuki Lake) वर्तमान में 1.65 किमी की परिधि में फैली हुई है।
अधिकतम गहराई: 36.91 मीटर
औसत गहराई: 14.48 मीटर
2017 में क्षेत्रफल: 10.36 हेक्टेयर
2024 में क्षेत्रफल: 13.38 हेक्टेयर
कुल वृद्धि: 3.02 हेक्टेयर
पानी की मात्रा: 2.16605135 मिलियन क्यूबिक मीटर

सांगला झील में भी बढ़ा जलस्तर

सांगला झील (Sangla Lake), जो 4710 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, का क्षेत्रफल भी पिछले कुछ वर्षों में बढ़ा है।
2017 में क्षेत्रफल: 13.4 हेक्टेयर
2024 में क्षेत्रफल: 14.29 हेक्टेयर
सितंबर 2024 में क्षेत्रफल: 15.73 हेक्टेयर
पानी की मात्रा: 1.52758 मिलियन क्यूबिक मीटर

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

वैज्ञानिकों के अनुसार, climate change और glacier melting के कारण झीलों का आकार बढ़ रहा है। Baspa River System में सांगला झील का अहम योगदान है। झील स्थानीय eco-system और biodiversity के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह rare species के लिए प्राकृतिक आवास प्रदान करती है।

बाढ़ और पावर प्रोजेक्ट को खतरा

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि यदि सांगला झील का जलस्तर अनियंत्रित हुआ, तो यह JSW Baspa Hydel Power Station को प्रभावित कर सकता है। flash flood की स्थिति में सांगला में loss of life & property की संभावना भी जताई गई है।

सर्वे रिपोर्ट और सुरक्षा उपाय

मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने शुक्रवार को इन झीलों के Bathymetric Survey और landslide risk assessment report को जारी किया।
झीलों का वार्षिक फील्ड सर्वे किया जाएगा।
Early Warning System स्थापित करने की सिफारिश की गई है।
पानी के बहाव की continuous monitoring की आवश्यकता बताई गई है।

निष्कर्ष:

बढ़ती झीलों के कारण हिमाचल के कई इलाकों में flood risk बढ़ सकता है। सरकार और प्रशासन को जल्द से जल्द preventive measures लागू करने होंगे ताकि environment & infrastructure को सुरक्षित रखा जा सके।

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