लाहुल-स्पीति पुलिस की जानकारी के अनुसार पिछले दस सालों में यहां पर एक भी चिट्टे का केस दर्ज नहीं हुआ है। हालांकि पिछले पांच सालों में एनडीपीएस के 22 केस दर्ज हुए हैं। यह चरस के हैं। इन केसों में चरस मात्र 450 ग्राम ही पकड़ी गई हैं, जिस लोगों से चरस पकड़ी गई, वह प्रचून मात्रा में पकड़ी है।
हिमाचल के लाहुल-स्पीति जिले में पिछले 10 सालों में चिट्टे (हेरोइन) का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। जानें कैसे यह जिला नशा मुक्त बना हुआ है।
देश का एकमात्र जिला, जहां चिट्टे का मामला नहीं
लाहुल-स्पीति देश का एकमात्र जिला है, जहां पिछले 10 वर्षों में चिट्टे (हेरोइन) का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। हिमाचल प्रदेश के अन्य जिलों में हर दूसरे-तीसरे दिन ड्रग तस्कर पकड़े जाते हैं, लेकिन लाहुल-स्पीति पुलिस की सख्ती और कड़ी निगरानी के चलते यह जिला अब तक सिंथेटिक ड्रग्स से अछूता रहा है।
सख्त कानून व्यवस्था और जागरूकता अभियान
लाहुल-स्पीति पुलिस ने सख्त कानून व्यवस्था बनाए रखते हुए जिले को नशा मुक्त रखने में सफलता पाई है। इसके पीछे मुख्य वजह हर व्यक्ति पर पैनी नजर रखना और स्थानीय लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक करना है।
माइनस डिग्री तापमान में भी चौकसी बरकरार
कड़ाके की ठंड में भी पुलिसकर्मी पूरे जिले में तैनात रहते हैं और हर संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखते हैं। पुलिस के अनुसार, पिछले 5 सालों में NDPS एक्ट के तहत 22 मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन ये सभी चरस से जुड़े थे। इन मामलों में सिर्फ 450 ग्राम चरस ही बरामद हुई, जो बेहद कम मात्रा मानी जाती है।
लाहुल-स्पीति पुलिस की मुहिम बनी मिसाल
लाहुल-स्पीति पुलिस की सख्त निगरानी, निरंतर पेट्रोलिंग और नशे के प्रति जागरूकता अभियान ने इसे हिमाचल का सबसे सुरक्षित जिला बना दिया है। यह मॉडल पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन सकता है।