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पालमपुर में खिला ट्यूलिप गार्डन, सात किस्मों के 50 हजार फूलों की मनमोहक छटा

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हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में ट्यूलिप गार्डन में सात किस्मों के 50,000 से अधिक रंग-बिरंगे फूल खिले हैं। यह गार्डन पर्यटन के लिए नया आकर्षण बन रहा है, जहां प्राकृतिक सुंदरता और रंगीन फूलों का अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा।

सात किस्मों के 50 हजार रंग-बिरंगे फूलों से सजा ट्यूलिप गार्डन पालमपुर स्थित सीएसआईआर-आईएचबीटी संस्थान में लोगों के लिए खोल दिया गया है। केंद्रीय मंत्री और सीएसआईआर के वाईस प्रेजिडेंट डा. जितेंद्र सिंह खराब मौसम के चलते पालमपुर नहीं पहुंच सके, ऐसे में उन्होंने वर्चुअल गार्डन का उद्घाटन किया।

पालमपुर में ट्यूलिप गार्डन का उद्घाटन, 50 हजार रंग-बिरंगे फूलों की छटा

हिमाचल प्रदेश के पालमपुर स्थित सीएसआईआर-आईएचबीटी संस्थान में ट्यूलिप गार्डन को आम जनता के लिए खोल दिया गया है। इस गार्डन में सात किस्मों के 50 हजार से अधिक ट्यूलिप के फूल खिले हैं, जो धीरे-धीरे अपने पूर्ण यौवन पर पहुंच रहे हैं। केंद्रीय मंत्री और सीएसआईआर के वाइस प्रेजिडेंट डॉ. जितेंद्र सिंह खराब मौसम के चलते पालमपुर नहीं पहुंच सके, लेकिन उन्होंने वर्चुअल माध्यम से इस गार्डन का उद्घाटन (virtual inauguration) किया।

ट्यूलिप गार्डन बना पर्यटकों के लिए नया आकर्षण

यह ट्यूलिप गार्डन लगभग एक महीने तक खुला रहेगा, और उम्मीद की जा रही है कि इस साल इसे देखने के लिए एक लाख से अधिक पर्यटक (over 1 lakh visitors) पहुंच सकते हैं। अच्छी बात यह है कि इस गार्डन को देखने के लिए किसी प्रकार का कोई शुल्क (free entry) नहीं लिया जाएगा।

हिमाचल में फूल उत्पादन के लिए अनुकूल जलवायु

पालमपुर स्थित आईएचबीटी (IHBT) संस्थान के वैज्ञानिकों ने कश्मीर के बाद देश का दूसरा और हिमाचल का पहला ट्यूलिप गार्डन विकसित किया है। संस्थान के निदेशक डॉ. सुदेश कुमार यादव ने बताया कि हिमाचल की जलवायु फ्लोरीकल्चर (floriculture) यानी फूलों की खेती के लिए अनुकूल है और सीएसआईआर फ्लोरीकल्चर मिशन के तहत इस गार्डन को तैयार किया गया है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना (boost farmers’ income) है।

दिल्ली में भी खिले पालमपुर के ट्यूलिप

सीएसआईआर-आईएचबीटी संस्थान ने हाल ही में एनडीएमसी दिल्ली को 15 हजार ट्यूलिप बल्ब भेजे थे, जहां यह फूल सफलतापूर्वक खिले हैं। इसके अलावा, लाहुल और लेह के किसानों को भी इस मिशन के तहत जोड़ा गया है, और उत्तराखंड की एक कंपनी भी इस प्रोजेक्ट में भाग ले रही है।

ऑफ-सीजन में ट्यूलिप उत्पादन की सफलता

आमतौर पर ट्यूलिप के फूल फरवरी और मार्च में खिलते हैं, लेकिन अब अप्रैल-मई में भी इनका उत्पादन (off-season tulip cultivation) संभव हो गया है। लाहुल-स्पीति के उदयपुर क्षेत्र में विक्रांत ठाकुर जैसे किसानों ने वैज्ञानिकों के सहयोग से अप्रैल-मई में भी रंग-बिरंगे ट्यूलिप उगाने में सफलता प्राप्त की है। इन ट्यूलिप की बाजार में काफी मांग (high demand in market) है, और एक डंडी करीब 70 रुपये तक बिकती है।

हिमाचल में बढ़ रहा फ्लोरीकल्चर टूरिज्म

ट्यूलिप गार्डन के खुलने से पर्यटन (tourism) और कृषि (agriculture) के क्षेत्र में एक नई संभावनाएं बनी हैं। इससे न केवल हिमाचल प्रदेश में फूलों की खेती (flower farming) को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह स्थानीय किसानों की आय बढ़ाने में भी मदद करेगा। यह गार्डन हिमाचल में फ्लोरल टूरिज्म (floral tourism) को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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